नवंबर 2019 में केंद्रीय सूचना आयोग (सीईसी) के फैसले को सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इस पर सीबीआई की याचिका पर उच्च न्यायलय द्वारा आदेश पारित किया गया है। भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी को सीईसी के फैसले में कथित भ्रष्टाचार संबंधित मामले की कुछ जानकारी देने का निर्देश दिया गया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को हाईकोर्ट ने कहा की आरटीआई अधिनियम के दायरे से पूरी तरह छूट नहीं दी जाएगी।
कोर्ट ने कहा है की यह कानून मानवाधिकार के उल्लंघनों पर और भ्रष्टाचार पर जानकारी प्रदान करने की आज्ञा देता है। धारा 24 सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम पर कोर्ट ने कहा कि यह दिखाता है कि भले ही संगठन (सीबीआई) का नाम कानून की दूसरी अनुसूची में उल्लेखित है, मगर पूरा अधिनियम ऐसे संगठनों पर लागू नहीं होता है।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने 2 फरवरी को आदेश पारित कराया। जिसमे उन्होंने कहा है की धारा 24 का प्रावधान भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से संबंधित जानकारी आवेदक को उपलब्ध कराने की अनुमति देता है। इसे दूसरी अनुसूची में उल्लिखित संगठनों को प्रदान किए गए अपवाद में शामिल नहीं किया जा सकता है। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के नवंबर 2019 के फैसले को हाईकोर्ट ने चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर यह आदेश दिया गया।
सीईसी द्वारा अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को कुछ जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। एम्स के जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के मेडिकल स्टोर के लिए भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने खरीदी गई कुछ सामग्री में कथित भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी मांगी थी।