इंदौर. मुंह और गले का कैंसर हमारे देश में बहुत ज्यादा प्रिविलेंट है क्योंकि हमारे यहां पर तंबाकू, गुटखा,, पान और स्मोकिंग का बहुत ज्यादा चलन है। यदि कोई व्यक्ति तंबाकू के साथ अल्कोहल का सेवन करता है तो उसे कैंसर होने के रिस्क 30% तक बढ़ जाते हैं। वर्तमान समय में बुरी आदतों के चलते मुंह और गले के कैंसर से संबंधित बीमारी हमारे युवाओं में बहुत ज्यादा बढ़ रही हैं। वही फॉरेन कंट्री में स्मोकिंग का चलन ज्यादा है इसलिए वहां लंग कैंसर संबंधित समस्या ज्यादा देखने को सामने आती है। पहले यह पढ़ने और सुनने में आता था कि कैंसर से संबंधित समस्या 60 साल की उम्र की बीमारी है लेकिन आजकल यह यंग जेनरेशन में देखी जा रही है। वही लड़कियों में भी इन चीजों के सेवन करने से यह समस्या देखी जा रही है। यह बात डॉ नितिन तोमर ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित एसआरजे सीबीसीसी कैंसर हॉस्पिटल में नेक एंड थ्रोट डिपार्टमेंट में सीनियर कैंसर सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. मुंह के हिस्सों में किस प्रकार तंबाकू और अन्य चीजों के सेवन से कैंसर सामने आता हैं इसके लक्षण क्या हैं
जवाब. लोगों द्वारा जब तंबाकू, गुटके का सेवन किया जाता है तो इनमें मौजूद निकोटीन मुंह के कई हिस्सों में रबिंग करता है और उस जगह के सेल्स मैं जेनेटिक चेंज पैदा करता हैं। कुछ समय बाद यह सेल्स ग्रो करना स्टार्ट कर देते हैं जो कि आगे चलकर कैंसर होने की संभावना को बढ़ा देते हैं। इसके लक्षण की अगर बात की जाए तो शुरुआत में जबड़े, जीभ और अन्य हिस्से में छोटा छाला होता है जो कि धीरे धीरे बढ़ता है। कई बार लोग इसे नॉर्मल छाला समझकर नजरअंदाज करते हैं जो कि सही नहीं हैं। जब मुंह के हिस्से में कोई छाला 8 से 10 दिन में ठीक नहीं होता है तो इसे नजरअंदाज करने की बजाय अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि इसे सही समय पर डायग्नोज किया जा सके। वहीं कई बार जबड़े और मसूड़ों से खून आता है। इसे नजरअंदाज करने के बजाय सही समय पर दूसरी स्टेज में ही इसे पकड़कर इसका इलाज कर दिया जाए तो काफी अच्छे रिजल्ट सामने आते हैं।
सवाल. नेक कैंसर कैसे बढ़ता है इसके शुरुआती लक्षण क्या होते हैं
जवाब. बात अगर नेक कैंसर की करी जाए तो इसके केस प्रायः प्राइमरी स्टेज़ के बहुत कम होते है। यह ज्यादातर सेकेंडरी कैंसर होता है। जब प्राइमरी रूप से मुंह के जबड़े, जीभ और अन्य हिस्से में जब यह कैंसर बढ़ता है तो यह आगे चलकर गले में गठान का रूप ले लेता है। जब यह गठान बड़ी होती है तो चमड़ी को डैमेज कर बाहर निकल आती है और घाव का रूप ले लेती है। इसके लक्षण की अगर बात की जाए तो जब गठान खाना खाने वाली नली में होती है तो खाना खाने में दिक्कत होती है। वही जब यह समस्या आवाज वाले हिस्से में होती है तो आवाज के बैठने की समस्या सामने आती है। इसे शुरुआती तौर पर पहचानकर ठीक किया जा सकता है वहीं कई बार लेट होने पर जब यह गठान फैल जाती है तो आवाज की पेटी निकालना पड़ती है जिस वजह से बाद में पेशेंट को बोलने के लिए मशीन लगाना पड़ती है।
सवाल. मुंह और गले के कैंसर के ट्रीटमेंट और ऑपरेशन के दौरान किन चीजों का ध्यान रखना जरूरी होता है
जवाब. दूसरे ऑर्गन के मुकाबले मुंह और गले के कैंसर में ऑपरेशन और ट्रीटमेंट करने के दौरान कई चीजों के बारे में ध्यान रखना होता है क्योंकि यह शरीर का वह हिस्सा होता हैं जहां से हमारे शरीर के दूसरे फंक्शन मेंटेन होते है। कई बार जब जीभ या गाल की चमड़ी का हिस्सा निकाला जाता है तो उस हिस्से में प्लास्टिक सर्जरी का भी ध्यान रखना होता है। जीभ का हिस्सा निकालने पर आगे चलकर व्यक्ति को बोलने में समस्या ना हो इसके लिए जीभ का हिस्सा बनाना पड़ता है। वही जब जबड़ा निकाला जाता है तो उसमें लगने वाली हड्डी का ध्यान रखना होता है ताकि आगे चलकर उसमें दांत लगाए जा सके और व्यक्ति खाना-पीना कर सकें। वही कई बार गले में कैंसर बढ़ने पर वॉइस बॉक्स निकालना पड़ता है और उसकी जगह मशीन लगानी होती हैं।
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई गजरा राजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर से कि वही मैंने इएनटी में मास्टर नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से की है। इसी के साथ टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई से फैलोशिप प्रोग्राम किया है। मैंने फ्रांस और बेल्जियम से एडवांस ट्रेनिंग इन कैंसर रिकंस्ट्रक्शन में मैने ट्रेनिंग हासिल की।अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने शहर के प्रतिष्ठित एमवायएच हॉस्पिटल में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दी वहीं शहर के गवर्नमेंट कैंसर हॉस्पिटल में भी मैंने कंसल्टेंट के रूप में अपनी सेवाएं दी है। वर्तमान में मैं शहर के प्रतिष्ठित एसआरजे सीबीसीसी कैंसर हॉस्पिटल में सीनियर कैंसर सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।