दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए कोचिंग हादसे मामले में गिरफतार कार चालक की कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान मनोज कथूरिया ने उन्हे गलत तरीके से फसाने के आरोप लगाए। इस आरोप पर दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने युवक के अपराध गिनवाए. दावा किया गया कि यह युवक मस्तीखोर है. उसके यूट्यूब चौनल पर डले पुराने वीडियो जज साहब को दिखाए गए. हालांकि इस पर जज ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।
वकील ने कोर्ट के सामने कहा कि मेरी कार से पहले चार गाड़िया निकली थी. मेरे से पीछे दो गाड़ी थी. ऐसे में मुझे ही क्यों आरोपी बनाया गया. युवक की तरफ से कहा गया कि वहां हाईस्पीड कार चला ही न सकते. वो इतनी भीड़ वाली सड़क है. वहां इतने कोचिंग सेंटर है. ऐसे में हम कैसे वहां रैश ड्राइविंग कर सकते हैं. युवक की तरफ से कहा गया कि यह सरासर दिल्ली जल बोर्ड, एमसीडी और पीडब्ल्यूडी की जिम्मेदारी थी. अगर सड़कों पर वॉटर लॉगिंग होती है तो इसमें सड़क पर गाड़ी चलाने वाले की क्या गलती है.
मनोज कथूरिया ने अपने बचाव में क्या कहा?
जज के सामने दलील दी गई कि लाइब्रेरी में कोचिंग चलाई जा रही थी जो गैर कानूनी है. अपील की गई थी जांच अधिकारी को यह आदेश दिया जाए कि इस घटना से आधे घंटे पहले और आधे घंटे बाद की फुटेज को सुरक्षित रखवा लिया जाए. जिससे सच पता चल जाएगा. कहा गया कि युवक ने मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों की कोई अनदेखी नहीं की है.
पुलिस ने पूराने वीडियो दिखाए
सरकारी वकील ने अदालत में पुराने वीडियो दिखाए. दावा किया गया कि इन वीडियो में वो रैश ड्राइविंग कर रहा है. पुलिस का कहना है कि वो मस्तीखोर है. सरकारी वकील ने कहा तीन शब्द हैं- इरादा, ज्ञान और लापरवाही- जिन पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है. लेकिन आरोपी को पता था कि उसके पास गोरखा फोर्स की हाई-एंड कार है, उसे पता था कि वह आसानी से निकल जाएगा.
जानबूझकर ऐसे गाड़ी चलाई
वह वह व्यक्ति है जिसने हालात को और बिगाड़ दिया. उसने सब-कुछ जानते हुए ऐसे गाड़ी चलाई. गाड़ी गोरखा फोर्स थी, इन्हें पता था की इनका कुछ नहीं होगा, जिसके चलते पानी की वेव बनीं, आगे मोड़ पर भी इन्होंने ध्यान नहीं दिया. ड्राइवर लोकल था. पूरे इलाके की जानकारी थी. उसे पता था कि आगे कोचिंग सेंटर है.