इस व्रत को करने से मिलता है वाजपेय यज्ञ का फल, जानें पूजा विधि और मंत्र

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हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी कहते हैं। इसे परिवर्तिनी एकादशी व डोल ग्यारस आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान वामन की पूजा की जाती है। इस बार यह एकादशी 17 सितंबर, सोमवार को है। इस दिन भगवान योग निद्रा के दौरान करवट लेते हैं, इसलिए इसको परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। कुछ स्थानों पर ये दिन भगवान श्रीकृष्ण के सूरज पूजा (जन्म के बाद होने वाला मांगलिक कार्यक्रम) के रूप में मनाया जाता है।

Parivartini Ekadashi 2019 by This Fast Get By Blessings of Vajpayee Yagya |  परिवर्तिनी एकादशी, इस व्रत को करने से मिलता है वाजपेय यज्ञ का फल - Dainik  Bhaskar

परिवर्तिनी एकादशी व्रत पूजा मंत्र (Parivartini Ekadashi Mantra):
ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
शांताकारं भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मीकान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।।

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पद्मा एकादशी व्रत पूजा विधि:
परिवर्तनी एकादशी व्रत रखने के लिए दशमी तिथि को सूर्यास्त के बाद से भोजन न ग्रहण करें। उसके बाद एकादशी व्रत के दिन सूर्योदय के पूर्व स्नान आदि करके भगवान विष्णु या फिर घर के मंदिर में जाकर व्रत का संकल्प लें। अब घी का दीपक जलाएं और इसके बाद उन्हें अक्षत, फूल, मीठा, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। उसके बाद पूजन मन्त्रों का जाप करें। अंत में आरती करें और उसके बाद दिन भर, निर्जला या फलाहारी जैसे भी रह सकें, व्रत रहें। रात में जागरण करते हुए भगवान विष्णु का भजन करें। सुबह द्वादशी तिथि में शुभ मुहूर्त में व्रत पारण करें।