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महंगाई की दस्तक! जेब पर पड़ेगा असर, इतनी बढ़ सकती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें

Israel-Iraq War

पश्चिम एशिया में इजराइल और ईरान के बीच छिड़ी जंग का आज सातवा दिन हैं, और हालात लगातार और भयावह होते जा रहे हैं। दोनों ही देश एक-दूसरे पर लगातार हवाई हमले कर रहे हैं, जिनमें अब तक भारी जान-माल की क्षति हुई है।

सबसे ज्यादा नुकसान ईरान को झेलना पड़ा है, जहां इजराइल के हमलों में ईरान के टॉप आर्मी कमांडर और नौ प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं। दूसरी ओर, ईरान के जवाबी हमलों में इजराइल की खुफिया एजेंसी का मुख्यालय और तेल अवीव स्थित स्टॉक एक्सचेंज की इमारत पूरी तरह से तबाह हो गई है।

अमेरिका की संभावित एंट्री से और बढ़ सकती है तबाही

विश्लेषकों का मानना है कि इस युद्ध के फिलहाल थमने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। उल्टा, अगर अमेरिका इसमें प्रत्यक्ष रूप से शामिल होता है, तो यह संघर्ष वैश्विक युद्ध की शक्ल ले सकता है। अमेरिकी अधिकारियों द्वारा ईरान पर संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारियों की खबरें इस आशंका को और बल दे रही हैं।

आम आदमी पर पड़ेगी महंगाई की मार

ईरान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक देश है और वैश्विक तेल आपूर्ति का 20% हिस्सा उसकी समुद्री सीमा होरमुज़ की खाड़ी से होकर गुजरता है। ऐसे में जंग का असर सीधे तौर पर कच्चे तेल की कीमतों पर दिखाई दे रहा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार उछाल दर्ज किया गया है, जिससे आम आदमी के लिए महंगाई और भी सिरदर्द बन सकती है।

MCX पर कच्चे तेल के दाम पहुंचे नई ऊंचाई पर

गुरुवार को MCX पर जुलाई डिलीवरी वाले क्रूड ऑयल की कीमत 6,360 रुपये प्रति बैरल पर खुली, जो दोपहर तक 2% चढ़कर 6,467 रुपये तक पहुंच गई। यह बढ़त ब्रेंट क्रूड और अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड की कीमतों में उछाल के कारण हुई, जो क्रमशः $75.93 और $77.27 प्रति बैरल पर पहुंच गईं।

क्रूड ऑयल में कितना और इजाफा हो सकता है?

गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि मौजूदा हालात में प्रति बैरल कीमत में $10 का ‘जोखिम प्रीमियम’ न्यायसंगत है। यदि तनाव और गहराया, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें $90 प्रति बैरल तक जा सकती हैं। MCX पर विशेषज्ञों का अनुमान है कि जुलाई वायदा की कीमतें 6,300 से 6,450 रुपये के दायरे में रह सकती हैं, जबकि सपोर्ट स्तर 6,170 रुपये और रेजिस्टेंस स्तर 6,470 रुपये पर दिख रहा है।

निवेशकों की निगाह अमेरिका की नीति और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया पर भी टिकी है। दूसरी ओर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को स्थिर रखा है और साल के अंत तक दो बार कटौती के संकेत दिए हैं, जिससे कच्चे तेल की मांग में बढ़ोतरी संभव है।

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