प्रदेश के पूर्व केबिनेट मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा ने आज प्रदेश की शिवराज सरकार पर जमकर निशाना साधा, वर्मा ने सोशल मीडिया पर अपने ट्वीट के माध्यम से लिखा “डीजल पेट्रोल पर टैक्स से 10000 करोड़ से ज्यादा कमाने वाली शिवराज सरकार कोविड मृतकों का मुआवजा क्यों नहीं दे रही? किसानों के नाम पर सेस, तो किसान कर्जमाफी क्यों नहीं? मध्यमवर्ग के टैक्स के पैसे से कर्मचारियों, पेंशनर को महंगाई भत्ता क्यों नहीं दिया जा रहा?”
वर्मा ने कहा कि डीजल पेट्रोल पर टैक्स से 10000 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वाली शिवराज सरकार कोविड मृतकों के परिजनों को मुआवजा क्यों नहीं दे रही? किसानों के नाम पर डीजल पर 4 रुपये और पेट्रोल पर 2.5 रुपये सेस लगता है तो किसान कर्ज माफी क्यों नहीं हो रही? पेट्रोल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मध्यमवर्ग करता है, तो इसके टैक्स के पैसे से कर्मचारियों और पेंशनर को महंगाई भत्ता क्यों नहीं दिया जा रहा?
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में पेट्रोल की कीमतें 112 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर चली गई हैं। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। हम पूरे प्रदेश में लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण तरीके से जनता की समस्या और सरकार की तानाशाही को उठा रही है। लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। मध्य प्रदेश पेट्रोल और डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स वसूलने वाले राज्यों में शामिल है। वर्मा ने कहा कि कोरोना में प्रदेश में कई लाख लोगों की मौत हो गई लेकिन सरकार आंकड़े छुपाकर मौत के मामले 10,000 के करीब ले आई।
मौत के आंकड़े इतने ज्यादा घटाने के बावजूद सरकार कोविड मृत्यु पर घोषित मुआवजा अब तक नहीं दे रही है? हमने बार बार मांग की है कि हर मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। लेकिन सरकार मुख्यमंत्री की तरफ से घोषित 1 लाख रुपये तक का मुआवजा नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल के दामों में सरकार कृषि सेस भी वसूल करती है, लेकिन प्रदेश के किसानों के लिए सरकार क्या कर रही है। डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर सेस लिया जा रहा है।
किसानों के नाम पर भारी भरकम सेस वसूलने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को किसान कर्ज माफी के लिए क्यों नहीं समझाते। कमलनाथ सरकार ने किसानों की कर्ज माफी की थी। इससे 27 लाख किसानों को फायदा हुआ। लेकिन शिवराज सिंह चौहान सरकार बनते ही किसानों की कर्ज माफी रोक दी गई। जब पेट्रोल डीजल पर किसानों के नाम पर टैक्स लिया जा रहा है तो किसानों का कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पेट्रोल की सबसे ज्यादा खपत मध्यम वर्ग करता है। सरकारी कर्मचारी और पेंशनर इसका बड़ा हिस्सा हैं। इन्हीं लोगों की जेब से पेट्रोलियम पर लग रहे टैक्स का सबसे बड़ा हिस्सा निकल रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले दो साल से कर्मचारियों को न तो वेतन वृद्धि दी और न ही महंगाई भत्ता बढ़ाया। यह दोनों काम करके सरकार मध्यमवर्ग को राहत दे सकती थी, लेकिन दी नहीं।