विश्व पर्यावरण दिवस पर बोले शिवराज, पौधा लगाने पर ही मिलेगी बिल्डिंग परमिशन

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भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अब बिल्डिंग परमिशन इसी शर्त पर दी जाएगी कि मकान बनाने वाला व्यक्ति एक पेड़ अवश्य लगाएगा। नगर निगम हो, नगर पालिका, नगर पंचायत अर्थात जिस भी स्तर का नगरीय निकाय हो बिल्डिंग परमिशन के लिए पौधा लगाने की शर्त अनिवार्य होगी। घर पर जगह न होने की स्थिति में पार्क या सार्वजनिक स्थल पर पौधा लगाना और उसकी सुरक्षा करना आवश्यक होगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आज प्रदेशव्यापी अंकुर वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ कर संबोधित कर रहे थे। निवास से वर्चुअली आरंभ इस कार्यक्रम में किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल उपस्थित थे। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग ने कार्यक्रम में वर्चुअली मंदसौर से सहभागिता की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 5 जिलों के अंकुर अभियान के जिला नोडल अधिकारियों से वी.सी. द्वारा संवाद किया। कार्यक्रम में हरदा में वृक्षारोपण गतिविधियों का फिल्म द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया। अपर मुख्य सचिव श्री मलय श्रीवास्तव ने अंकुर कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गाँवों में भी ग्राम पंचायतों की यह जिम्मेदारी होगी कि जो भी मकान बने, उसमें एक पेड़ अवश्य लगे। यह शर्त प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनने वाले आवासों पर भी लागू रहेगी। घरों के अलावा स्कूल, पंचायत भवन, खेत आदि में पेड़ लगाए जाएंगे। सरकारी भवनों और कार्यालयों के लिए भी यह शर्त रहेगी। मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में जितने फ्लेट बनेंगे, उतने पेड़ बिल्डर को लगाने होंगे। सभी शासकीय, गैर-शासकीय भवनों के निर्माण में पेड़ लगाने की शर्त जोड़ी जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि व्यक्ति स्व-प्रेरणा से भी पेड़ लगाएंगे, क्योंकि पर्यावरण सुधार हमारे लिए नारा नहीं मंत्र है।

जन्म-दिवस और विवाह वर्षगाँठ जैसे मौकों पर करें वृक्षारोपण
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेशवासियों से पर्यावरण बचाने में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि सभी प्रदेशवासियों को साल में एक बार पेड़ अवश्य लगाना चाहिए, क्योंकि पौधा रोपना जीवन रोपने के समान है। पेड़ ही जीवित ऑक्सीजन प्लांट है। पेड़ हमें जीवन देते हैं, एक बड़ा पेड़ कई पक्षियों, जीव-जंतुओं को आश्रय प्रदान करता है। प्रत्येक पेड़ की पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भूमिका है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेशवासियों से हर खुशी के मौके, जन्म-दिन, विवाह वर्षगाँठ और माता-पिता व अपने प्रिय व्यक्तियों की पुण्य-तिथि पर उनकी याद में एक पौधा लगाने की अपील की।

अंकुर कार्यक्रम के प्रतिभागियों को प्राणवायु अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जन-सहभागिता से वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए अंकुर कार्यक्रम आरंभ किया गया है। बुद्ध पूर्णिमा 26 मई को इसके लिए वायुदूत एप लाँच किया गया है। इस कार्यक्रम में अब तक 15 हजार से अधिक प्रतिभागियों द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया गया है। लगभग 2,500 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा वृक्षारोपण कर एप पर उसके फोटो अपलोड किए गए हैं। जो पेड़ लगाएंगे उन्हें वृक्ष वीर और वृक्ष वीरांगना की संज्ञा दी जाएगी। इनमें से चयनित प्रतिभागियों को प्राणवायु अवार्ड से सम्मानित भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निवाड़ी जिले में अब तक सबसे अधिक पंजीयन होने पर जिले के अधिकारियों तथा प्रतिभागियों को बधाई दी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यदि हमें धरती बचानी है और धरती को आने वाली पीढ़ियों के रहने लायक रखना है तो पर्यावरण बचाना आवश्यक है। इसके लिए पेड़ लगाना, नदियों को बचाना आवश्यक है।

वृक्षारोपण से 400 एकड़ क्षेत्र में हुआ घना वन विकसित
कार्यक्रम में हरदा जिले में रूपारेल नदी के किनारे श्री गौरी शंकर मुकाती की पहल पर हुए वृक्षारोपण पर लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। श्री मुकाती 1990 से वृक्षारोपण के लिए कार्य कर रहे हैं। उनके प्रयासों से रूपारेल नदी के आसपास लगभग 400 एकड़ क्षेत्र में घना वन विकसित हुआ है। मुख्यमंत्री श्री चौहान से वर्चुअली चर्चा में श्री मुकाती ने सुझाव दिया कि जैसे सड़क की सुरक्षा के लिए दोनों ओर शोल्डर बनाए जाते हैं वैसे ही नदियों के दोनों ओर पेड़ लगाना अनिवार्य करना होगा। इससे खेतों में डाले जाने वाले कीटनाशक और रसायनिक खाद का नदी में बहाव और मिट्टी का कटाव रूकेगा। नदियाँ उथली नहीं होंगी, जिससे जल्दी बाढ़ आने की समस्या से भी राहत मिलेगी और नदियाँ सदानीर होकर बहेंगी।

सात साल की कोपल ने तो ब्रान्ड एम्बेसेडर जैसा काम किया
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अंकुर अभियान के प्रतिभागियों से बातचीत भी की। रायसेन की सात वर्षीय कोपल श्रीवास्तव ने बताया कि उसके माता-पिता ने पौधा लगाने के लिए प्रेरित किया। मुख