बोरिंग के पानी की भी होगी निगरानी, इंदौर प्रशासन उठाने जा रहा ये कदम

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इंदौर में आने वाले दिनों में औद्योगिक इकाइयों के साथ ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में कराए गए नए-पुराने बोरिंगों का न केवल पंजीयन कराना होगा, बल्कि उसकी दस हजार रुपए फीस जमा करने के साथ-साथ बोरिंगों पर फ्लो मीटर भी लगाना पड़ेंगे, जिससे पता चल सके कि संबंधितों ने बोरिंग के कितने पानी का दोहन किया है। पहले दौर में यह मामला औद्योगिक इकाइयों और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी, अपार्टमेंट, खनन परियोजनाओं, बड़े बल्क कनेक्शन के मामले में लागू होगा। भूजल के मामले में इंदौर डार्क झोन में आ चुका है और इसे अतिदोहित क्षेत्र मानकर यह प्रक्रिया अपनाई गई है।

नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में हजारों की संख्या में बोरिंग हैं और इनके पंजीयन के लिए संबंधितों को सूचना पत्र जारी किए जा रहे हैं, ताकि वे निर्धारित समयावधि में इसके लिए पंजीयन करवा सकें। पंजीयन नहीं कराने वाले संस्थानों और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी पर कड़ी कार्रवाई की जाना है, जिसके तहत पहले दौर में जुर्माना और बाद में संबंधित संस्थानों के खिलाफ प्रशासन और निगम तालाबंदी के साथ-साथ कुछ अन्य कार्रवाई कर सकता है। हालांकि इसको लेकर कुछ संशोधित आदेश आना बाकी है।

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केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने मध्यप्रदेश नगरीय प्रशासन विभाग के आला अफसरों को पत्र जारी किया है। इस पत्र के आधार पर इंदौर नगर निगम को भी विभाग की ओर से पत्र भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि प्राधिकरण के नए नियमों के मुताबिक अब इंदौर में ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों के साथ-साथ ऐसी औद्योगिक इकाइयां, जहां बड़े पैमाने पर बोरिंग का पानी उपयोग में लाया जाता है, उनका पंजीयन अनिवार्य रूप से हो और साथ ही वहां पानी के उपयोग से लेकर फ्लो मीटर लगाने तक का कार्य किया जाए, ताकि फ्लो मीटर के माध्यम से पता चल सके कि संबंधित संस्थान ने कितनी अवधि में कितना पानी जमीन से दोहित किया है।

बीते तीन-चार महीनों में नगर निगम की टीमों ने बड़े अपार्टमेंट से लेकर तमाम औद्योगिक इकाइयों, शासकीय कार्यालय, अस्पतालों और कई अन्य स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बड़े पैमाने पर लगाए थे, ताकि बारिश का पानी जमीन में पहुंचाया जा सके। इसके लिए कई एजेंसियों को सभी 19 झोनल कार्यालयों पर जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं। उनकी अलग-अलग दरें निर्धारित भी कर दी गई थीं, ताकि जो भी व्यक्ति सिस्टम लगाना चाहे, उसे झोन पर लगे बोर्ड से जानकारी मिल सके। इंदौर में लगातार बोरिंगों की संख्या बढऩे और भूजल स्तर डार्क झोन में आने के बाद इसे अतिदोहित क्षेत्र घोषित किया गया, जहां भूजल का तेजी से औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ कई अन्य कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। नगर निगम के खुद के साढ़े 5 हजार बोरिंग हैं, जबकि शहर में औद्योगिक, रहवासी और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में कितने बोरिंग हैं, इसका आंकड़ा निगम और प्रशासन के पास भी नहीं है।