इंदौर: पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने आज मध्य प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से चर्चा की और इंदौर मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा गत दिनों ब्लैक फंगस से पीड़ित के परिजनों के साथ किए हुए दुर्व्यवहार की जानकारी दी साथ ही इस संबंध में संभाग आयुक्त एवं इंदौर के प्रभारी मंत्री से चर्चा की ओर दुर्व्यवहार की घटना से अवगत कराया।
तीन सदस्यीय कमेटी
नेमा ने बताया की ब्लैक फंगस के बढ़ते प्रभाव और उपचार में लगने वाले इंजेक्शन ओं की कमी पर संभाग आयुक्त ने तीन व्यक्तियों की एक कमेटी गठित की जिसमें डीन मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर मेडिसिन प्रोफेसर ईएनटी सम्मिलित किए गए जो मरीज का परीक्षण कर इलाज हेतु इंजेक्शन एवं अन्य मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। इस बीमारी को राज्य शासन ने महामारी घोषित किया, जिसका तात्पर्य है की मरीज की पूरी चिंता शासन और प्रशासन करेगा । इस स्थिति में इस कमेटी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है
इंदौर के विभिन्न अस्पतालों के बीमारों के परिजन संभाग आयुक्त द्वारा जारी फॉर्म अस्पतालों से भरवा कर कमेटी को देते हैं पर डॉ दीक्षित फार्म लेते नहीं और उन पर साइन भी नहीं करते यह शिकायत मैंने 3 दिन पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी के आगमन पर जिलाधीश कार्यालय पर संभागायुक्त महोदय को की थी उन्होंने फॉर्म लेने का विश्वास मुझे दिलाया था। पिछले दो दिनों में लगभग 10-15 बीमारों के परिजनों ने मुझसे संपर्क किया की डॉ दीक्षित दुर्व्यवहार करते हैं चेंबर से निकल जाने के लिए कहते हैं पुलिस बुलाकर बंद करवाने की बात करते हैं और कहते हैं शासन हमें इंजेक्शन नहीं दे रहा हम आपके फॉर्म लेकर क्या करेंगे इस प्रकार का व्यवहार मरीजों के परिजन के साथ किया जा रहा है।
डॉ दीक्षित के इस कृत्य से शासन और प्रशासन की छवि धूमिल होने के साथ ही बीमारी से परेशान व्यक्ति के परिजनों को मानसिक आघात पहुंचाना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। इन शिकायतों को दृष्टिगत रखते हुए कल रात्रि को मैंने 8:00 से 9:30 के बीच में डॉ दीक्षित की गतिविधियों की जानकारी संभाग आयुक्त महोदय और इंदौर करोना प्रभारी मंत्री सिलावट को दी दोनों ने मुझे आश्वस्त किया कि हम चर्चा कर मरीजों को परेशान नहीं होने देंगे।
आज सुबह मैंने मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग जी से भी चर्चा की संपूर्ण घटनाक्रम उन्हें बताया और मांग की की शासन प्रशासन की छवि धूमिल करने वाले एवं बीमारी से परेशान परिजनों से अमानवीय व्यवहार करने वाले डॉक्टर दीक्षित को तत्काल सस्पेंड करें और जांच में मरीजों के परिजनों के बयान लेकर विधि सम्मत कार्रवाई करें क्योंकि महामारी घोषित होने के बाद शासन और प्रशासन की पूर्ण जिम्मेदारी इस बीमारी के संबंध में हो जाती है। नेमा प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री चौहान को भी इस घटना से शीघ्र अवगत कराएंगे ।