यूपी में विपक्ष के आगे नहीं चला बीजेपी का जादू, ये प्रमुख मुद्दे जिन्होंने BJP को किया निराश

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लोकसभा परिणाम सामने आ चुके है। यह परिणाम बीजेपी के लिए निराशा जनक रहें । उम्मीद के अपेक्षा बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने मे असफल रही है। वहीं विपक्षी दलों सहित कांग्रेस के लिए इस चुनाव के परिणाम फायदेमंद रहे। भाजपा नेतृत्व का एनडीए 292 सीटों के साथ बहुमत पार किया तो वहीं कांग्रेस को 234 सीटें मिली है।

बीजेपी बीजेपी को सबसे ज्यादा जिन राज्यों में नुकसान हुआ उसमें से यूपी पं बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, शामिल है। भाजपा केा यूपी में कुल 33 सीटें प्राप्त हुई जोकि 2019 के चुनाव के नतीजों में 62 सीटे मिली थी। बंगाल में भी 18 की जगह सिर्फ 9 सीटें मिली। राजस्थान में 25 की जगह 14 सीट मिली। लेकिन बीजेपी के राम मंदिर से लेकर कथित बीजेपी लहर के बावजूद कैसे इतना नुकसान हुआ है।

बीजपी को उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सीटों का नुकसान हुआ है। जहां 29 सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। इस दौरान बीजेपी के कई केंद्रीय मंत्रियों को भी शिकस्त मिली है। लेकिन सवाल उठता है, वो कौन से ऐसे प्रमुख मुद्दे थे जिन्हे भुनाकर यूपी में सपा और कांग्रेस की जोड़ी ने बीजेपी का गढ़ ढ़हा दिया है।

युवाओ के रोजगार और अग्निवीर का मुद्दा
उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा इन्ही मुद्दों पर जोर दिया था। विपक्ष ने सरकार आने के बाद अग्निवीर को खत्म करने और 8 लाख प्रति वर्ष सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। हालांकि यूपी में सबसे ज्यादा परीक्षाओं में पेपर लीक का मामला भी शामिल रहा है।

महिलाओं को 1 लाख प्रतिवर्ष का वादा
मध्यप्रदेश के तर्ज पर राहुल गांधी का सबसे बड़ा वादा महिलाओं को कथित तौर पर सशक्त बनाने के लिए 1 लाख की राशि देने का वादा किया था। यह मुद्दा भी काफी प्रभावशाली रहा है। गौरतलब है कि एमपी में बीजेपी की डूबती कस्ती को किनारे लगाने में लाडली बहना योजना का काफी योगदान रहा था।

मुस्लिम वोर्टस की एकतरफा वोटिंग
सपा और कांग्रेस गठबंधन के बाद यूपी में मुस्लिम वोटर्स एकतरफा वोटिंग जिसके कारण विपक्ष को फायदा हुआ। कुछ सीटें ऐसी थी जहां मुस्लिम वोट बैंक बंट जाया करती थी लेकिन इस बार एक होकर वोट करना बीजेपी को भारी पड़ा। 2019 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस सपा अलग होकर चुनाव लड़े थे। लेकिन इस बार वह वोटर्स एक साथ आ गए।

सपा-कांग्रेस की जाति समीकरण की रणनीति
अखिलेश यादव ने इस बार टिकट वितरण में परख- परख कर टिकट दिया था। जानकारों की मानें तो यह भी सपा- कांग्रेस की सफलता के प्रमुख कारण रहे। उदाहरण तौर पर देखें तो जिन सीटों पर यादव वोट बैंक ज्यादा थे, वहां पर सपा ने उम्मीदवार खड़े किए थे। ऐसे ही मुस्लिम, राजपूत, ब्राह्मण वोट बैंक को साधा गया जो बीजेपी के भारी नुकसान का कारण रहे।