बीजेपी को जनजातीय वर्ग से माफी मांगते हुए माफी व प्रायश्चित दिवस मनाना चाहिए – पूर्व CM कमलनाथ

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भोपाल: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने भोपाल के जंबूरी मैदान पर भाजपा (BJP) द्वारा 15 नवंबर को आयोजित किये जा रहे जनजातीय गौरव दिवस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि भाजपा को तो जनजातीय गौरव पर बात करने का व इस दिवस को मनाने का कोई हक़ नही है क्योंकि उनकी सरकार में तो जनजातीय वर्ग के साथ सबसे ज्यादा अत्याचार व उत्पीड़न की घटनाएं घटी है। भाजपा को तो जनजातीय वर्ग से माफी माँगते हुए माँफी व प्रायश्चित दिवस के रूप में इस दिवस को मनाना चाहिए।

नाथ ने कहा सिर्फ आगामी चुनाव को देखते हुए जनजातीय वर्ग को लुभाने, साधने के लिए भाजपा यह आयोजन कर रही है। बात करें तो मध्यप्रदेश में पिछले 17 वर्ष में भाजपा की सरकार ने इस वर्ग के उत्थान के लिए एक भी ऐसा काम नहीं किया है जो उल्लेखनीय हो। वर्ष 2006 में तत्कालीन मनमोहन सिंह जी की सरकार द्वारा वन अधिकार अधिनियम के माध्यम से आदिवासियों को सशक्त करने हेतु कानून बनाया गया था, जिसमें आदिवासियों को वन समिति के
गठन, वन का अधिकार के पट्टे, छोटे आदिवासी किसानों को सिंचाई हेतु कुआँ, बिजली की व्यवस्था इत्यादि के प्रावधान थे, भाजपा सरकार ने प्रदेश में इस अधिनियम को इसकी भावना के अनुरूप प्रदेश में लागू ही नहीं किया है।

भारत के संविधान में प्रदेश स्तर पर आदिवासी मंत्रणा परिषद के गठन का प्रावधान है, प्रदेश में इस परिषद का गठन नहीं किया गया है एवं इसके अधिकारों को मुख्यमंत्री ने स्वयं के पास केंद्रित किया हुआ है। प्रदेश के आदिम जाती कल्याण विभाग के अंतर्गत विकासखंडों में पाँच हजार से अधिक शासकीय विध्यालयों को शिक्षा विभाग में संविलियन करने का प्रस्ताव भी आदिवासी हितों के साथ कुठाराघात है। यदि बात करें तो हाल ही की एनसीआरबी की रिपोर्ट में भी मध्य प्रदेश का नाम आदिवासी उत्पीड़न व अत्याचार की घटनाओं में देश में शीर्ष राज्य के रूप में सामने आया है।

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आदिवासी वर्ग की पहचान को नष्ट करने का प्रयास भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों द्वारा निरंतर किया जा रहा है। वही पिछले दिनों की घटित घटनाओं की बात करें तो प्रदेश के नेमावर में एक आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर उनके शवों को 10 फीट गहरे गड्ढे में गाड़ दिया गया, पीड़ित परिवार की 47 दिन तक कोई सुनवाई नहीं हुई क्योंकि आरोपियों को भाजपा के नेताओं का खुला संरक्षण प्राप्त था और बड़ी शर्म की बात है इतनी वीभत्स घटना पर भी प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के किसी जिम्मेदार नेता ने आज तक पीड़ित परिवार से मिलना मुनासिब नहीं समझा और पीड़ित परिवार की इस कांड की सीबीआई जांच की माँग को आज तक नही माना।

वही बात करें तो प्रदेश के नीमच में कन्हैया लाल भील नाम के एक आदिवासी युवक को भाजपा से जुड़े नेताओं द्वारा बर्बर तरीके से पीटा गया, पिकअप वाहन से बांधकर, उसे घसीट कर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई, जिस घटना की भी देश भर में निंदा हुई, इस मामले में भी उच्च स्तरीय जांच की मांग हुई लेकिन ना आज तक वो माँग मंजूर हुई और ना पीड़ित परिवार से मुख्यमंत्री और उनके किसी जिम्मेदार मंत्री ने मिलना तक उचित समझा ?
वही बात करें तो खरगोन में एक आदिवासी युवक को पुलिस थाने में जमकर प्रताड़ना दी गई, उस प्रताड़ना से उसकी मौत हो गई।

समाजजन ने आंदोलन कर इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की लेकिन आज तक उस पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ और मुख्यमंत्री से लेकर किसी जिम्मेदार मंत्री ने आज तक उस पीड़ित परिवार की सुध नही ली। वही बात करे तो प्रदेश के डबरा, बालाघाट व अन्य हिस्सों से भी आदिवासी वर्ग के लोगों के साथ उत्पीड़न की घटनाओं के मामले सामने आए लेकिन इन सब घटनाओं पर भी शिवराज सरकार मौन बनी रही और आज यह खुद को किस मुँह से जनजातीय वर्ग का सबसे बड़ा हितेषी बताने में लगी हैं।

वही बात करें तो कांग्रेस (Congress) की सरकार ने प्रदेश में विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित किया था, शिवराज सरकार ने आते ही उस अवकाश को निरस्त कर दिया।वही कांग्रेस सरकार ने इस दिवस को मनाने के लिए उन 89 विकासखंडो में 1-1 लाख रुपए की राशि प्रदान की थी ताकि जनजातीय वर्ग इस दिवस को धूमधाम से मना सके।हमारी सरकार ने जनजातीय वर्ग के उत्थान के लिये उनके जन्म से लेकर मृत्यु तक के लिए विभिन्न योजनाएं अपनी सरकार में घोषित की थी लेकिन शिवराज सरकार ने इन योजनाओं व राशियों को भी रोक दिया क्योंकि भाजपा सरकार कभी भी जनजातीय वर्ग का भला, उत्थान व कल्याण नहीं चाहती हे।

हमारी सरकार ने प्रत्येक आदिवासी पंचायत में 25-25 हजार रुपए बड़े बर्तन खरीदने के लिए जारी किए गए थे, जिससे आदिवासी अपने सामाजिक कार्यक्रमों में सामुदायिक भवन के माध्यम से इस्तेमाल कर सकें।आदिवासी परिवारों में बच्चे के जन्म पर 50 किलो मुफ्त अनाज एवं किसी की मृत्यु होने पर 100 किलो मुफ्त अनाज देने का प्रावधान भी हमने किया गया था, जिसे भी अब बंद कर दिया गया है। कांग्रेस सरकार द्वारा आदिवासियों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से साहूकार अधिनियम भी बनाया गया था, केंद्र सरकार से अनुमति के पश्चयात भी प्रदेश में इस अधिनियम को लागू नहीं किया जा रहा है।

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आज भाजपा किस मुंह से जनजातीय गौरव दिवस को मनाने की बात कर रही है ? नाथ ने कहा कि आदिवासी उपयोजना में आदिवासियों के विकास, बुनियादी सुविधाओं, शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए रखे गए करोड़ों रुपए इस आयोजन के नाम पर भाजपा व मोदी जी के प्रचार-प्रसार के लिए खर्च किए जा रहे हैं। यह पूरा आयोजन भव्य तरीक़े से मेगा इवेंट शो की तरह आयोजित किया जा रहा है। 23 करोड़ रुपए की राशि तो सिर्फ परिवहन, खाने, मास्क व सैनिटाइजर के नाम पर खर्च की जा रही है।

इस पूरे आयोजन के नाम पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा रही है, यदि इस राशि का उपयोग जनजातीय वर्ग के हित, उत्थान व कल्याण के लिए किया जाता तो शायद इस वर्ग का बेहतर भला हो सकता लेकिन भाजपा को तो उत्सव, आयोजन, जश्न मनाने की आदत है और पिछले 17 वर्ष में प्रदेश में करोड़ों रुपए उत्सव, जश्न और आयोजनों के नाम पर ही भाजपा ने खर्च किए हैं। प्रदेश को ढाई लाख करोड़ से अधिक के कर्ज के दलदल में धकेला है।

वह अभी भी आदिवासियों के विकास के लिये रखे गये करोड़ों रुपए की राशि को इस आयोजन के नाम पर खर्च कर रही है।भाजपा को आदिवासियों के विकास के लिये रखी गयी राशि को इस तरह ख़ुद की पार्टी के आयोजन पर खर्च करने का कोई हक नहीं है, इससे इस वर्ग का नुकसान होगा और जो राशि उनके उत्थान, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए खर्च की जाना थी, वह भाजपा इस आयोजन पर खर्च कर रही है।

नाथ ने कहा प्रदेश की राजधानी भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में 8 नवंबर को हुए एक दुखद हादसे में 16 से अधिक मासूमों की अभी तक मृत्यु हो चुकी है, कई मासूम अभी भी जीवन-मृत्यु से संघर्ष कर रहे हैं, पूरे प्रदेश में इस घटना से शोक की लहर है और ऐसे दुख भरे माहौल में भी भाजपा को जश्न, उत्सव, आयोजन की पड़ी है।अभी वर्तमान दुख की परिस्थिति को देखते हुए भाजपा को यह आयोजन स्थगित कर देना था, आगे बढ़ा देना था।

वही बात करें तो हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जो खुद को मामा कहते हैं, घटना के 5 दिन बाद भी अभी तक उन्हें चंद किलोमीटर दूर भोपाल के ही कमला नेहरू अस्पताल जाकर पीड़ित परिवारों से मिलने की व घटनास्थल पर जाने की फुर्सत तक नहीं मिल पायी है क्योंकि पूरी भाजपा सरकार इस आयोजन की तैयारियों में लगी हुई हैं, उन्हें प्रदेश में हुई मासूमों की मौत से कोई लेना-देना नहीं, उन्हें तो सिर्फ़ जश्न, उत्सव की पड़ी है।वह तो इस आयोजन के नाम पर भी जश्न, उत्सव मनाने की तैयारी रोज़ कर रहे है।

इस घटना से मुख्यमंत्री व भाजपा की संवेदनशीलता की वास्तविकता प्रदेश की जनता के सामने आ चुकी है कि उन्हें सिर्फ खुद व खुद की पार्टी के प्रचार-प्रसार, महिमामंडन, जश्न उत्सव व आयोजनों की पड़ी है, प्रदेश की जनता से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। प्रदेश का जनजातीय वर्ग भाजपा सरकार की इस सच्चाई को जानता है कि उसकी सरकार में किस प्रकार उनके साथ दमन व उत्पीड़न की घटनाएं घटी है और किस प्रकार से इस वर्ग की निरंतर अनदेखी की गयी है।वह भाजपा के किसी भी गुमराह व भ्रमित करने वाले बहकावे में आने वाला नहीं है।

इस आयोजन के नाम पर लाखों लोगों को जुटाने का दावा किया जा रहा है, जनजातीय वर्ग के लोगों के नाम पर, भाजपा के प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं को व सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों को लाकर इस आयोजन में बैठाने की भाजपा की पूरी तैयारी है। इस आयोजन को लेकर अधिकारियों को टारगेट देकर सरकारी भीड़ इस आयोजन के नाम पर जुटाई जा रही है।