दमोह में मलैया के कारण सांसत में भाजपा

Mohit
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दिनेश निगम ‘त्यागी

दमोह विधानसभा क्षेत्र के लिए उप चुनाव की दुंदभी बज चुकी है और वरिष्ठतम नेता जयंत मलैया ने ‘अभी तो मैं भाजपा में हूं’ कहकर भाजपा को सांसत में डाल रखा है। उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। मलैया के इस कथन से भाजपा की सांस फूली हुई है। पार्टी नेतृत्व मलैया को हरहाल में मनाने की कोशिश में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित पार्टी के कई नेता मलैया से बात कर चुके हैं। दरअसल, मलैया को अपनी नहीं, अपने बेटे सिद्धार्थ की चिंता है। इस चुनाव में वे उसे प्रोजेक्ट करने वाले थे लेकिन दलबदल से बनी भाजपा सरकार ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। खास बात यह है कि मलैया के भी कुछ सवाल हैं, जिनका जवाब भाजपा के किसी नेता के पास नहीं है। इसीलिए मामला फंसा हुआ है। बहरहाल कांग्रेस से आए राहुल सिंह लोधी को भाजपा दमोह से अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। कांग्रेस भी अपने प्रत्याशी का शीघ्र एलान करने वाली है।

मलैया इस कारण हैं नेतृत्व से दुखी –
– सार्वजनिक तौर पर जयंत मलैया कुछ कहने को तैयार नहीं हैं। वे कह चुके हैं कि अभी वे भाजपा में हैं। दमोह के बारे में फैसला बाद में लेंगे। मलैया को दु:ख इस बात का है कि प्रदेश में चौथी बार भाजपा की सरकार बनने के बाद राहुल लोधी को कांग्रेस से भाजपा में लाया गया, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। मलैया मानते हैं कि उन्हें किनारे करने के लिए ऐसा किया गया। बता दें, 2018 के चुनाव में राहुल महज 758 मतों के अंतर से मलैया को हरा सके थे। मलैया 1990 से लगातार दमोह से चुनाव जीतते आ रहे थे। मलैया को लगता है कि राहुल यदि यह उप चुनाव जीत गए तो अगले चुनाव में भी उनका टिकट पक्का है। ऐसे में मलैया को अपने बेटे सिद्धार्थ का राजनीतिक भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है।

सिद्धार्थ का रामबाई के पति के खिलाफ मोर्चा –
– पथरिया से बसपा विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह ठाकुर हटा से कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या मामले में आरोपी हैं। पहले रामबाई ने कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रखा था। इस कारण गोविंद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। बाद में रामबाई ने भाजपा सरकार को भी अपना समर्थन दे दिया। लिहाजा, गोविंद सिंह के खिलाफ कार्रवाई अटकी ही थी। इसे लेकर सिद्धार्थ मलैया लगातार रामबाई और पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोले थे। कोर्ट के निर्देश पर अब पुलिस गोविंद की गिरफ्तारी के लिए सक्रिय है। उस पर इनाम की राशि बढ़ाई जा रही है। अवैध निर्माण हटाया गया है। माना जा रहा है कि भाजपा सरकार यह सब मलैया को संतुष्ट करने के लिए कर रही है।
0 मलैया न माने तो भाजपा की जीत मुश्किल…

दमोह विधानसभा सीट से अपवाद छोड़कर जयंत मलैया लगातार चुनाव लड़कर जीतते रहे हैं। क्षेत्र में उनकी गहरी पकड़ है। वे भाजपा के कद्दावर नेता भी हैं। 2018 के चुनाव में भी वे हारे तो मामूली अंतर से। साफ है कि उप चुनाव में यदि भाजपा नेतृत्व मलैया को न मना पाया। मना भी लिया लेकिन क्षेत्र में मैसेज रहा कि मलैया के साथ पार्टी नेतृत्व ने अन्याय किया है तो भाजपा को उप चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित प्रदेश भाजपा की मेहनत पर पानी फिर सकता है। इसीलिए पार्टी मलैया को किसी भी हालत में मनाने में जुटी हैं। मलैया मानते हैं या नहीं, रास्ता निकलता है तो क्या?, राजनीतिक हलकों में इसका इंतजार किया जा रहा है।