दिनेश निगम ‘त्यागी’
कांग्रेस में बगावत के बाद सरकार बनाने एवं कुछ और विधायकों को तोड़ लेने का मतलब यह कतई नहीं कि भाजपा के अंदर सब ठीक-ठाक है। सब ठीक-ठाक होता तो मंत्रिमंडल विस्तार एवं मंत्रियों को विभागों के बंटवारे में विलंब से जो जग हंसाई हुई, नहीं होती। अब भी नेताओं के अंदर चल रहे दांव-पेंचों की वजह से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा अपनी कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पा रहे हैं। बागियों के आने से पार्टी के अंदर से असंतोष के स्वर फूटे थे, ये नाराज नेता अब लामबंद होने लगे हैं। भाजपा के रघुनंदन शर्मा, अजय विश्नोई, भंवर सिंह शेखावत तथा जयभान सिंह पवैया जैसे नेता सरकार एवं संगठन के कामकाज को लेकर तीखी टिप्पणियां कर रहे हैं। साफ है कि यदि पार्टी नेतृत्व ने इस असंतोष और नाराजगी को काबू में न किया तो भविष्य में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
बयानों के बाद एकजुट होने की कोशिश
भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा पार्टी हित में सच बोलने के लिए जाने जाते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ समय से वे सध कर बोल रहे हैं। दीपक जोशी भाजपा के संत माने जाते रहे स्वर्गीय कैलाश जोशी के पुत्र हैं। इन्होंने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी का इजहार कर संगठन एवं सरकार को कटघरे में खड़ा किया। अनूप मिश्रा पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी के भान्जे हैं। इनके साथ कुछ और नेताओं ने बैठक कर यदि संगठन एवं सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए और कहा कि पार्टी में संवादहीनता की कमी है। प्रमुख नेताओं को तवज्जो नहीं दी जा रही तो मसला गंभीर है। बैठक में उमा भारती के खास नरेंद्र बिरथरे एवं युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटैरिया ने भी हिस्सा लिया। इन नेताओं ने फिर 9 अगस्त को बैठक करने की बात कही है। अगली बैठक में पार्टी से नाराज चल रहे और नेता हिस्सा ले सकते हैं। अर्थात रघुजी इन्हें मंच प्रदान करते दिख रहे हैं।
बागियों के कारण हर स्तर पर नाराजगी
कांग्रेस के बागियों की बदौलत भाजपा ने सरकार बना ली लेकिन इसकी वजह से हर स्तर पर नाराजगी देखने को मिल रही है। बागी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, इसलिए संबंधित क्षेत्रों में मेहनत कर रहे भाजपा नेता नाराज हैं। बागियों की वजह से पात्र दावेदार मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा सके, इसकी वजह से वे असंतुष्ट हैं। अब बागियों को संगठन में भी जगह चाहिए। इस कारण कार्यकारिणी के गठन में भी भाजपा का कोटा घट सकता है। कोरोना की वजह से यह असंतोष बड़े स्तर पर दिखाई भले नहीं पड़ रहा लेकिन भविष्य में यह भाजपा के सामने मुसीबत खड़ी कर सकता है।
कार्यकारिणी में पद पाने को लेकर घमासान
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल के गठन एवं विभागों के बंटवारे के दौरान जो हालात थे, भाजपा को उसी स्थिति का सामना प्रदेश कार्यकारिणी के गठन में करना पड़ रहा है। जिन्हें सरकार में जगह नहीं मिली वे सभी संगठन में जगह चाहते हैं। सिंधिया के साथ और कांग्रेस छोड़कर जो अन्य नेता पार्टी में आए हैं, वे भी संगठन में पद चाहते हैं। पार्टी के अंदर हर बड़े नेता को अपने समर्थकों के लिए जगह चाहिए। इस घमासान एवं खींचतान का नतीजा है कि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा 6 माह बाद भी अपनी टीम गठित नहीं कर सके।
शिवराज अपने खास लोगों को चाहते हैं पद
संघ से आकर भाजपा का काम देख रहे कई संगठन मंत्री भी भाजपा में पद चाहते हैं। खबर है कि भोपाल संभाग के संगठन मंत्री आशुतोष तिवारी को महामंत्री एवं शैलेंद्र बरुआ को उपाध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के अंदर इन्हें संगठन में पद दिए जाने का विरोध हो रहा है। इसके अलावा जिस तरह मंत्रिमंडल के गठन में संगठन सहमति नहीं बनने दे रहा था, उसी प्रकार कार्यकारिणी के गठन में शिवराज आड़े आ रहे हैं। शिवराज जिन अपने विधायकों को मंत्री नहीं बना सके, उनके लिए संगठन में महत्वूपर्ण जवाबदारी चाहते हैं। इस खींचतान के कारण भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी लटकी पड़ी है। बता दें, नरेंद्र सिंह तोमर के प्रदेश अध्यक्ष जो कार्यकारिणी बनी थी, मामूली फेरबदल के साथ पांच साल से उसी से काम लिया जा रहा है।