भाजपा ने आपातकाल की स्मृति को काला दिवस के रूप में मनाया

Shivani Rathore
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इंदौर : भारतीय जनता पार्टी नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे एवं कालादिवस कार्यक्रम के प्रभारी हरप्रीतसिंह बक्षी ने बताया कि 25 जून 1975 को तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र को तार-तार करते हुए देश में आपातकाल लगाया था, भारतीय जनता पार्टी उस दिन को काला दिवस के रूप में मनाती है।

आपने बताया कि हर वर्ष 25 जून को सामूहिक कार्यक्रम करते हुए लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया जाता रहा है, लेकिन इस बार कोविड संकट के कारण, वरिष्ठ नेताओं ने वचुअर्ल कांफ्रेस संबोधन के द्वारा अपना उद्बबोधन दिया। प्रमुख रूप से प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ. मोहन यादव ने आपातकाल से जुड़ी कई घटनाओं को वर्चुअल रैली के माध्यम से कार्यकर्ताओं को बताया।

इस दौरान नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, सुदर्शन गुप्ता, मधु वर्मा, हरप्रीतसिंह बक्षी, कमल बाघेला, घनश्याम शेर, गोलू शुक्ला, देवकीनंदन तिवारी, कमल वर्मा, विक्की मित्तल, वीणा शर्मा, शैलजा मिश्रा, गायत्री गोगडे, अतुल बनवडीकर, आशीष शर्मा, रितेश विरांग, गजानंद गावडे सहित नगर पदाधिकारी, मंडल पदाधिकारी, मोर्चा पदाधिकारी व अन्य अपेक्षित कार्यकर्ताओं ने वर्चुअल संबोधन सुना। प्रत्येक मंडल में मंडल स्तर पर कार्यकर्ताओं के द्वारा काला दिवस मनाते हुए मंडल में निवासरत सभी लोकतंत्र सेनानी(मीसाबंदियों) का सम्मान उनके घर जाकर किया गया। इस दौरान लोकतंत्र सेनानियों के द्वारा उस समय की यातनाओं और दर्द को विस्तार से बताया गया।

इंदौर विमानतल पर केन्द्रीय मंत्री श्री थावरचन्द गेहलोद का लोकतंत्र सेनानी के रूप में पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, जयदीप जैन, घनश्याम काकाणी, चन्द्रशेखर मालवीय, बलजीतसिंह चौहान, राजेश रूद्र शर्मा, हंसराज नरवले ने स्वागत करते हुए सम्मान किया। श्री गहलोत भी आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में रहे थे। इस अवसर पर श्री गेहलोद ने कहा कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था।

तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस को प्रतिबंधित कर दिया गया।

इंदिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल घोषित करके प्रमुख नेताओं को पकड़कर जेल में डाल दिया गया था। आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा क़ानून (मीसा) के तहत राजनीतिक विरोधियों की गिरफ़्तारी की गई, इनमें जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फ़र्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। इसी के साथ हमारे हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं को 19 माह के लिये जेल में डाल दिया गया। भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र की सबसे बड़ी एवं अलोकतांत्रिक घटना को काला दिवस के रूप में मनाती है।