बीजेपी और ओडिशा की बीजेडी के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है। दरअसल पीएम मोदी 5 मार्च को ओडिशा के दौरे पर थे । इस दौरान पीएम और सीएम नवीन पटनायक के बीच दोस्ताना अंदाज देखा गया था। पीएम ने उन्हे अपना कहकर संबोधित किया था। इसके बाद से ही बीजू जनता दल (बीजेडी) की भी पुराने गठबंधन में वापसी होने की कयास लगाए जाने लगे है।
राज्यसभा चुनाव में भी बीजेडी ने बीजेपी उम्मीदवार अश्विनी वैष्णव का समर्थन किया था । नवीन पटनायक की पार्टी के इस कदम से बीजेपी के साथ गठबंधन का इशारा देखने को मिलने लगा था। लेकिन सवाल भी उठ रहे हैं कि 2000 से ही ओडिशा का पावर सेंटर बने रहे नवीन पटनायक को 15 साल बाद अब आखिर फिर से गठबंधन की जरूरत क्यों पड़ रही है?
आपको बता दें नवीन पटनायक 2000 से ही ओडिशा के सीएम हैं ।बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियां बीजेडी की 24 साल पुरानी सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी को वोट के रूप में कैश कराने की कोशिश में हैं । बीजेडी की अंगुली पकड़कर 2009 तक चलती रही बीजेपी के लिए ओडिशा में सबसे बड़ा संकट नेतृत्व का था ।
बीजेपी का ग्राफ चुनाव दर चुनाव चढ़ा है. 2014 और 2019 के ओडिशा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेडी का वोट शेयर बढ़ा जरूर है लेकिन मामूली ही सही, सीटें घटी हैं ।वहीं पीएम मोदी की गारंटी का सहारा मिल जाता है। तो बीजेडी को बड़ी बढ़त मिल जाएगी । लोकसभा चुनाव साथ में लड़ती है दोनों पार्टियां तो जाहिर सी बात है। बीजेपी के साथ बीजेडी को भी फायदा मिलेगा ।