भाजपा ने दिल्ली में 29 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेरने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे और पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है। साथ ही, आप और कांग्रेस के बागी नेताओं को भी उम्मीदवार बनाया है। हालांकि, पार्टी ने अब तक मुख्यमंत्री पद के चेहरे का ऐलान नहीं किया है। ऐसे में सवाल उठता है, क्या भाजपा अपने चौथे प्रयास में केजरीवाल को चुनौती देते हुए दिल्ली का राजनीतिक समीकरण बदल सकेगी?
राजेश चौधरी, जो 2013 के चुनाव में मनीष सिसोदिया का समर्थन करने के लिए आईटी सेक्टर की नौकरी छोड़कर मैदान में उतरे थे, अब भाजपा के खेमे में नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा 1998 से दिल्ली की सत्ता से दूर है और इस बार चौथी बार केजरीवाल को चुनौती देने के लिए तैयार है। उनके मुताबिक, इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प होगा क्योंकि भाजपा जमीनी स्तर पर सक्रिय है और कड़ी टक्कर देने की स्थिति में है।
हालांकि, राजेश चौधरी का मानना है कि भाजपा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने में देरी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि पहले चुनाव में भाजपा का चेहरा डॉ. हर्षवर्धन थे, जबकि दूसरे चुनाव में पार्टी ने अचानक किरण बेदी को मैदान में उतार दिया था। उनका कहना है कि इस बार ऐसी रणनीतिक गलती से बचना जरूरी है।
पटपड़गंज से सिसोदिया का जंगपुरा की ओर रुख
मनीष सिसोदिया ने इस बार पटपड़गंज की सीट छोड़कर जंगपुरा का रुख कर लिया है, जिससे पटपड़गंज में उनके कई पुराने रणनीतिकार असमंजस में हैं। उन्हें इस सीट पर कड़ी टक्कर की संभावना नजर आ रही है। भाजपा ने यहां पिछली बार मामूली अंतर से हारने वाले रविंद्र सिंह नेगी को फिर से मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी (आप) ने अवध ओझा को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस के पूर्व विधायक अनिल चौधरी भी चुनावी मुकाबले में हैं।
पटपड़गंज का चुनाव रोचक होने के पूरे आसार हैं। फिलहाल, अनुमानों में भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है, और ऐसा माहौल पार्टी के घोषित 29 प्रत्याशियों में से करीब एक दर्जन सीटों पर बन रहा है। भाजपा की चुनावी रणनीति का केंद्रबिंदु “डबल इंजन सरकार” का वादा और दिल्ली के विकास का एजेंडा है। हालांकि, चुनावी परिणाम अक्सर अप्रत्याशित होते हैं, जैसे एक दिन का क्रिकेट मैच, और किसी भी नतीजे पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
दिल्ली में बागियों पर BJP का दांव
आम आदमी पार्टी (आप) ने इस बार 2020 में जीत हासिल करने वाले कई उम्मीदवारों के टिकट काट दिए हैं। केजरीवाल सरकार के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत ने बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया है और बिजवासन से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा ने इस बार मंत्री राजकुमार आनंद को भी टिकट दिया है, जो पहले बसपा में थे और अब भाजपा में सक्रिय हैं। इसी तरह, छतरपुर के विधायक करतार सिंह तंवर भी आप छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं और चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।
दिल्ली कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे राजकुमार चौहान अब भाजपा में शामिल हो गए हैं और मंगोलपुरी से चुनाव लड़ेंगे। तरविंदर सिंह मारवाह जंगपुरा में मनीष सिसोदिया को चुनौती देंगे, जबकि मनजिंदर सिंह सिरसा भाजपा के टिकट पर राजौरी गार्डन से मैदान में हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली भी गांधीनगर से चुनाव लड़ेंगे, जहां उनका चुनाव चिन्ह कमल होगा।
भाजपा की मौजूदा रणनीति से संकेत मिलता है कि पार्टी अपनी आगामी सूची में भी बागी नेताओं पर भरोसा जताएगी, ताकि आम आदमी पार्टी को सत्ता से दूर कर दिल्ली की चाबी अपने हाथ में ले सके।
दो मुख्यमंत्री और उनके बेटे आमने-सामने
हाल ही में जारी प्रत्याशियों की सूची के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव में दो मुख्यमंत्री चुनाव लड़ेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से मैदान में हैं, जहां उनका सामना दो अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से होगा—प्रवेश साहिब सिंह वर्मा और संदीप दीक्षित। दोनों ही दिल्ली के पूर्व सांसद रह चुके हैं।
वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना कालकाजी सीट से चुनाव लड़ेंगी, जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बार पटपड़गंज की बजाय जंगपुरा सीट से अपनी उम्मीदवारी तय की है।