इस बार बिहार में चुनावी घमासान के बाद एनडीए ने अपनी जीत दर्ज किया। इस जीत के साथ ही नीतीश कुमार का फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनने का सपना सफल होने जा रहा है लेकिन इस बार इस मुख्यमंत्री पद का सफर इतना आसान नहीं होगा। मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार उन्हें मजबूत विपक्ष का सामना करना होगा। और साथ ही उनको अपने चारों दल के साथ एक संतुलन साधकर चलना होगा। ऐसे में नीतीश कुमार के सामने कई चुनौती होंगी जिसका उन्हें बखूबी सामना करना होगा।
नीतीश को अपनी खोई इज़्ज़त पाने की चुनौती
चुनावी रैली के दौरान नीतीश को कई जगह लोगो की नाराजगी का सामना देखने को मिला हालंकि उनकी सत्ता में वापसी ज़रूर हुई है। इस वापसी के बाद उनके पास यह सुनहरा मौका होगा की लोगो की नाराजगी दूर करने का। इस दौरान नितीश की सुशासन बाबू की छवि खराब हो गई थी लेकिन वो विकास और रोज़गार जैसे मुद्दे पर काम करके अपनी छवि सुधर सकते है।
मजबूत विपक्ष का सामना होगा
विपक्ष में तेजस्वी यादव से आने से विपक्ष की मजबूती में खासा इजाफा हुआ है। इस बार के कार्यकाल में उन्हने पहले से बहुत मजबूत विपक्ष का समाना करना होगा। उन्होंने जब इस सीएम पद को ग्रहण किया है उनके सामने लगातार विपक्ष कमजोर ही रहा है लेकिन इस बार यह बहुत ही चुनौती पूर्ण होगा। इस बार कम से कम उन्हें 115 विधायकों का विपक्ष से समाना करना होगा।
सरकार पर नियंत्रण कैसे रखेंगे
नीतीश कुमार की शुरू से ही राजनीती में बहुत ही मजबूती और बिना हस्तक्षेप के फैसले लेने वाले नेता माने जाते है। वो अपने फैसले बिना किसी से ज्यादा विचार विमर्श किए बगैर ही लेते है। लेकिन अब नीतीश कुमार को खुलकर फैसले लेने की आजादी नहीं रहेगी उनको अब सब काम अपने नियंत्रण में रह कर करना होगा। ऐसे में देखना है कि इस बार सरकार पर किस तरह से वो नियंत्रण रख पाते हैं और किस तरह फैसले लेते हैं।