भारत में अयोध्या विवाद सबसे बड़ा धार्मिक विवाद माना जाता था। वहीं सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद राममंदिर निर्माण हो हुआ है। वहीं इस मामले पर एनसीईआरटी ने भी अपने पाठ्क्रम में बड़ा बदलाव की है। बता दें नसीईआरटी ने 12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस या कहें राजनीति विज्ञान की नई रिवाइज्ड किताब मार्केट में आ चुकी, जहां किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र ही नहीं किया गया है। इतना ही नही अयोध्या विवाद के टॉपिक को चार की जगह दो पेज में कर कर दिया है और मस्जिद का नाम लिखने की जगह उसे तीन गुंबद वाली संरचना बताया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अयोध्या विवाद की जानकारी बताने वाले सभी पुराने वर्जन हटा दिए गए हैं। जिसमें गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक बीजेपी की रथयात्रा हो या फिर कारसेवकों की भूमिका ,बीजेपी का अयोध्या में होने वाली घटनाओं पर खेद जताना शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले का जिक्र
बता दें राजनीति विज्ञान की किताब के नए वर्जन में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक सब-सेक्शन जोड़ा गया है। इसका शीर्षक- कानूनी कार्यवाही से सौहार्दपूर्ण स्वीकृति तक है। पाठ्क्रम में जिक्र करते हुए लिखा गया है कि किसी भी समाज में संघर्ष होना स्वाभाविक है, लेकिन एक बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक लोकतांत्रिक समाज में इन संघर्षों को आमतौर पर कानून की पालन करते हुए हल किया जाता है। नये बदलाव में 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या विवाद पर दिए गए फैसले का भी जिक्र किया गया है। उस फैसले ने मंदिर निर्माण के लिए रास्ता तैयार किया। इस साल ही मंदिर का उद्घाटन किया गया है।
बाबरी विध्वंस को बताने वाली खबरें गायब
हालांकि सबसे महत्वपूर्ण पुरानी किताब में विध्वंस के दौर के समय अखबार में लिखे आर्टिकल की तस्वीरें थीं, जिनमें 7 दिसंबर 1992 का एक आर्टिकल भी शामिल था। इसका शीर्षक था बाबरी मस्जिद ध्वस्त, केंद्र ने कल्याण सरकार को बर्खास्त किया 13 दिसंबर, 1992 को छपे एक अखबार के आर्टिकल की एक हेडलाइन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को यह कहते हुए कोट किया गया है ।