Bhadali Navami 2021: इस दिन है साल का अंतिम शुभ दिन, जानें भड़ली नवमी का महत्व और शुभ मुहूर्त

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हिन्दू धर्म में भड़ली नवमी का अपना अलग ही खास महत्व होता है। शास्त्रों के मुताबिक, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है। इस नवमी को भड़ती नवमी कहते हैं। साथ ही इस खास दिन को भड़ाल्या और कंदर्प नवमी के नाम से भी जाना जाता है। बता दे, इस बार नवमी 8 दिन की ही है, यानी 11 जुलाई से प्रारंभ होकर यह 18 जुलाई तक ही रहने वाली है। ऐसे में भड़ली नवमी 18 जुलाई को मनाई जाएगी।

मान्यताओं के अनुसार, इस नवमी की खास विशेषता ये है कि हिन्दू धर्म में शुभ विवाह का ये आखिरी दिन माना जाता है। क्योंकि फिर देवशेयनी एकादशी होती है। ऐसे में भगवान विष्णु अगले चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। जिसके चलते किसी भी प्रकार का कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। कहा जाता है कि ऐसे समय में शुभ कार्य के दौरान भगवान का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है। आज हम आपको 18 जुलाई को पड़ने वाली भड़ली नवमी के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताने जा रहे है तो चलिए जानते है –

शुभ मुहूर्त और महत्व –

आपको बता दे, 18 जुलाई 2021 को प्रातः 02ः41 बजे से भड़ली नवमी का प्रारंभ होगा। वहीं इसका समापन 12ः28 बजे होगा। इस दिन रवि योग और साध्य योग बन रहे है। लेकिन इस पूरे दिन रवि योग बना रहेगा। वहीं साध्य योग की बात करें तो यह रात्रि 01ः57 बजे तक ही रहेगा। इसलिए इस खास मौके पर आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। आपको बता दे, इस समय को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। जिसके चलते आप विवाह के अलावा गृह प्रवेश, नया कारोबार- व्यापार आदि शुरू कर सकते हैं। मान्यताओं के अनुसार, भड़ली नवमी को अक्षय तृतीय के समान शुभ माना जाता है। ऐसे में अगर आपको शादी के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है तो इस दिन शादी कर सकते हैं।

20 जुलाई से न करें कोई मंगल कार्य –

जानकारी के अनुसार, भड़ली नवमी किसी भी मांगलिक कार्य करने का आखिरी दिन होता है। फिर उसके बाद 20 जुलाई 2021 से चतुर्मास प्रारंभ हो रहा है ऐसे में इस दिन से लेकर अगले 4 माह तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। बता दे, ऐसी मान्यता है कि इस दौरान देवशयनी एकादशी भी है, जिसके बाद से ही भगवान विष्णु पाताल लोक में निद्रा में चले जाते हैं और अगले चार माह तक वह इसी अवस्था में रहते हैं। वहीं इसके बाद भगवान विष्णु का प्रिय माह सावन शुरू होता है। ये माह शिव भक्तों के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस दौरान भक्तगण सावन के सभी सोमवार व्रत रखकर भगवान शिव की भक्ति करते हैं।