इंदौर : नरक चतुर्दशी (रूपचौदस) के दिन, भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर को मार कर 16000 कन्याओं को मुक्त करवाया था और समाज में पहचान के लिए उन सभी लड़कियों को अपना नाम दिया और उन्हें सजने संवरने की एक वजह दी। इस वर्ष 13 नवंबर को रूपचौदस के दिन, कृष्णा गुरुजी वेलफेयर सोसाइटी श्री कृष्ण की इस जीत को इंदौर की सेंट्रल जेल में महिला कैदियों के साथ उन्हें महिलाओं का आवश्यक सामान और अन्य सौंदर्यीकरण सामान जेलर लक्ष्मण सिंह भदौरिया की उपस्थिति में दिया। यह कृष्ण गुरुजी वेलफेयर सोसाइटी द्वारा उठाया गया एक और अनूठा समाज सेवा का कदम है। उपरोक्त महिला बंदी को आवश्यक सामग्री का वितरण संस्था की भारती मंडलोई ,मीता दास गुप्ता,वर्षा शर्मा द्वारा वितरित किया गया। जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने कहा अगर इस प्रकार त्योहारों में समाज का हिस्सा इनको मानते है तो जल्द ही अपराध मुक्त समाज होगा। इस दौरान अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
इस कदम के पीछे इंदौर शहर के कृष्णगुरुजी का विचार इन सभी कैदियों को इस कलयुग रूपी नरकासुर जो काम क्रोध लोभ के कारण जेल में बंद है उस से मुक्त करा कर संकल्प दिलाया रूप चौदस पर्व सार्थक किया एवम बंदी महिलाओ को बताया कि आज भी समाज का अभिन्न अंग हैं जैसा कि वे पहले थे। यह उन्हें समाज के साथ जुड़े रहने में मदद करेगा और भविष्य में उन्हें उसके अनुसार समाज के प्रति जिम्मेदार रहने की प्रेरणा भी देगा।
गुरुजी का कहना है कि कलियुग में, काम, क्रोध, लोभ, मोह, और अहंकार नामक राक्षस हम सब के अंदर हैं, और इनसे लड़ने के लिए हमारी सकारात्मक सोच ही हमारे कृष्ण हैं। हमारे भीतर छिपी इन बुराइयों पर जीत के रूप में चिह्नित करने के लिए सबसे उपयुक्त दिनों में से एक है, नरक चतुर्दशी। इसलिए, वह हमारे अंदर छिपी आंतरिक शक्ति को अभूतपूर्व मानते हैं इन अंदर छिपे राक्षसों के खात्मे के लिए। इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए, वह लोगों को डिवाइन एस्ट्रो मेडिटेशन और हीलिंग प्रक्रिया सिखाते हैं।