बस्ती पहरेदार बनेंगे समाज के रक्षक, मुस्कान जन जागृति समिति करवा रही ट्रेनिंग प्रोग्राम

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मुस्कान जन जागृति समिति की सचिव शालिनी रमानी की सोच है संकल्प से है सिद्धि अगर हर व्यक्ति यह सोच ले कि हम जीव है और हमें हर जीव का सम्मान करना है तो इस धरती पर हर जीव बेख़ौफ़ घूम सकता है। अपराध की शुरुवात व्यक्ति की सोच से होती है और सोच क्रिया में बदलकर अपराध बन जाती है।

आये दिन हमें देखने को मिलता है,कुछ हादसे बस्ती से शुरू होकर बस्ती पे ही खत्म हो जाते है, अत्याचार बढ़ते जा रहें हैं,और लोग पुलिस कचेरी और समाज के डर से अपने न्याय की लड़ाई नहीं लड़ पाते आरोपी बस्ती में गुंडा गरदी करके बेख़ौफ़ घूमते रहतें है। बहुत से कानून बनने के बावजूद भी,आये दिन एक न एक दुर्घटना सामने आती है,और रिपोर्ट होने के बाद भी फरयादी न्याय के लिए परेशान घूमता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है जनता की अज्ञानता,जनता स्वयं अपने कानूनी अधिकारों से वंचित है।

इस समस्या को दूर करने हेतु आपकी मुस्कान जन जागृति समिति एवं समाज सेवी अधिमान्य पत्रकार संघ द्वारा street पैट्रॉल बस्ती पेहरेदार अभियान करवाया जा रहा है। जिसमें 12वी पास अभ्यार्थियों को काउन्सलिंग,सेल्फ डिफेंस, फोटोग्राफी,न्यूज़ मेकिंग, रिपोर्टिंग, वीडियो मिक्सिंग का डिप्लोमा कोर्स करवायेंगे और सभी अभ्यार्थीयों को ऑन जॉब DG न्यूज़ में बस्ती पहरेदार रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर का कार्य प्रदान करेंगे।

यह ट्रेनिंग मात्र 15 दिन की रहेगी इसमें अभ्यार्थियों को सेफ सिटी, पास्को एक्ट,ईव टीसिंग रोक थाम,सेल्फ़ डिफ़ेंस तकनिकियाँ सिखाई जाएँगी। साथ ही फील्ड वर्क,रोड शो,नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जनता में सेफ सिटी नारी सम्मान के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी। इस प्रोग्राम की संचालिका रहेंगी आपकी मुस्कान जन जागृति समिति संस्था सचिव शालिनी रमानी और संपादक रहेंगे अधिमान्य पत्रकार संघ अध्यक्ष अनिल मालवीया।

इस ट्रेनिंग से न सिर्फ लोगों में जागरूकता फैलेगी बल्कि कई बेरोज़गारों को कार्य भी मिलेगा और पुलिस को भी जुर्म पर रोक थाम करने में सहायता मिलेगी। क्योंकि अपराध की शुरुवात बस्ती से ही शुरू होती है अगर उसे वहीं रोक दिया जाए तो अपराध को रोका जा सकता है।

लॉक डाऊन के बाद के सर्वे यह बताते है कि जो लड़कियां पहले बस्तियों में दिन रात घूमती थी, अब बस्ती के लड़कों के डर से घर से नहीं निकल पाती,क्योंकि लड़के बीच सड़कों पे सिगरेट पीतें हैं,लड़कियों से छेड़छाड़ व गंदे गंदे इशारे करते हैं,बच्चे भी इस गंदगी का शिकार हो रहें हैं,जिसकी वजह से घर वाले बच्चों को मोबाइल गेम्स द्वारा खिलाना ज़्यादा पसंद करते हैं।

इन्ही सब समस्याओं को देखते हुए यह प्रोग्राम बनाया गया है,इस प्रोग्राम को सफल बनाने हेतु शहर के प्रतिनिधि नेता एवं व्यापारी संघ को भी सम्मिलित किया जाएगा। इस अभियान में अभ्यार्थी बस्ती – बस्ती जाकर सभी रहवासियों को निःशुल्क आत्मरक्षा तकनिकियाँ सिखायेंगे साथ में जनता की समस्याओं को भी सुनेंगे।

हर बस्ती में 5 पहरेदार नियुक्त किये जायेंगे जिनके अपने-अपने कार्य निर्धारित रहेंगे,5 पहरेदारों में 2 महिलाएं और तीन पुरुष रहेंगे,जो जन सेवा का यह कार्य करेंगे।इस योजना से योगों की सोच में परिवर्तन तो होगा ही साथ में रहवासियों को अपने हक के लिए सही मार्ग भी मिलेंगे,और वैसे भी जब किसी को संघ का साथ मिल जाता है तो मंज़िल आसान लगने लगती है।