बहाई नवरोज़ – 19 दिनों के उपवास के बाद नववर्ष का उल्लास

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२० मार्च बहाई नव वर्ष – नवरोज़  :
नवजीवन व नवचेतना का त्योहार

१९ दिनों के कड़े उपवास के बाद २० मार्च को नववर्ष मनायेगें दुनिया भर के बहाई धर्म के अनुयायी
पूरे इतिहास के दौरान ईश्वर ने मानवजाति के पास ’दिव्य शिक्षकों’ की एक श्रृंखला भेजी है – जो ईश्वर के अवतारों के रूप में जाने जाते हैं – जिनकी शिक्षाओं ने सभ्यता के विकास के लिये आधारभूमि प्रदान की है। इन अवतारों में शामिल हैं अब्राहम, कृष्ण, ज़रतुस्थ, मूसा, बुद्ध, ईसा, मुहम्मद। इन अवतारों में नवीनतम हैं बहाउल्लाह जिन्होंने कहा है कि दुनिया के सभी धर्म एक ही ‘स्रोत’ से आये हैं और सार रूप में ईश्वर की ओर से आये एक ही धर्म के क्रमबद्ध अध्याय हैं।
बहाईयों की मान्यता है कि मानवजाति के सामने जो सबसे बड़ी ज़रूरत आज है वह है समाज के भविष्य को एकसूत्र में पिरोने वाली दृष्टि और जीवन के स्वरूप तथा उद्देश्य को जानने का। ऐसी ही दृष्टि बहाउल्लाह के लेखों में प्रकट होती है।
बहाई धर्म के अनुसार ईश्वर एक है और  समस्त धर्म उसी एक ईश्वर  द्वारा समय समय पर अपने अवतारों यानी दैवीय शिक्षकों के माध्यम से युग की स्थिति और परिपक्स्वाता के अनुसार भेजे जाते हैं!
उन्होंने 1863 में अपने अवतार होने की घोषणा की और विश्व शांति, विश्व एकता हेतु धर्म, जाती, देश , भाषा से ऊपर उठकर एक होने का सन्देश दिया | बहाई धर्मावलम्बी उन्हें श्रीकृष्ण, ईसा मसीह, मुहम्मद, ज़र्थुत्र और बुद्ध की कड़ी में इस युग का कल्कि अवतार मानते हैं !
उपवास :
प्रतिवर्ष १ मार्च से १९ मार्च , लगातार १९ दिनों के उपवास से बाद २०  मार्च को बहाई नववर्ष मनाया जाता है।  यह उपवास अन्य धर्मो की तरह ही आध्यात्मिक वृत्ति वाले होते हैं , इसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जल उपवास किया जाता है और सूर्यास्त के पश्चात्  भोजन लिया जा सकता है |
बहाई धर्म में आस्था रखने वाले विभिन्न प्रष्ठभूमि के लोग हैं और विशव के सभी धर्मों और अवतारों के प्रति पूर्ण श्रद्धा और सम्मान रखते हैं |

बहाई पंचांग
बहाई कैलेंडर के अनुसार पूरे वर्ष में १९ माह होते हैं  और १९ दिनों का एक माह ! ३६१ दिवस के अतिरिक्त प्रतिवर्ष ४ या ५ दिवस अधिदिवस होते हैं,  जो उपवास की तय्यारी के लिए होते हैं !
आखिरी माह 19वां महीना होता है जिसमे  उपवास रखे जाते हैं , इसका वास्तविक उद्देश्य तो यही है कि हम विषय वासनाओं से दूर अहंकार से मुक्त रहते हुए, प्रभु का स्मरण करें। बाहरी तौर तरीकों से उभरकर उपवास रखें, अहम्‌ से दूर रहें तथा ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहें, द्वेष भावों से मुक्त हों, हर हाल में खुश रहें। सभी एकात्मकता की भावना से जुड़ें।
नवरोज़
नव वर्ष के दिन बहाई अवकाश रखकर उत्सव मानते हैं , प्रार्थनाएँ, संगीत, भोजन और धन्यवाद प्रेषित किये जाते हैं !
बहाई धर्म के मुख्य सिद्धांत
बहाई धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण विश्व के लगभग १८० देशों में समाज-नवनिर्माण के कार्यों में जुटे हुए हैं। बहाई धर्म में धर्म गुरु, पुजारी, मौलवी या पादरी वर्ग नहीं होता है। बहाई अनुयायी जाति, धर्म, भाषा, रंग, वर्ग आदि किसी भी पूर्वाग्रहों को नहीं मानते हैं।
इसके सिद्धांतों में प्रमुख हैं –
·      ईश्वर एक है
·      सभी धर्मों का स्रोत एक है
·      विश्व शान्ति एवं विश्व एकता
·      सभी के लिए न्याय
·      स्त्री–पुरुष की समानता
·      सभी के लिये अनिवार्य शिक्षा
·      विज्ञान और धर्म का सामंजस्य
·      गरीबी और धन की अति का समाधान
·      भौतिक समस्याओं का आध्यात्मिक समाधान