नितिनमोहन शर्मा। अरविंद बागड़ी की 30 बरस से बिगड़ी बात बमुश्किल बनी ही थी कि चंद घण्टो में फिर बिगड़ गई। वे होल्ड के नाम पर वही फिर टांग दिए गए, जहा बरसो से टँगे हुए थे। लम्बे इंतजार और “मोटी ” जमावट के बाद वे कांग्रेस की बिगड़ी बागड़ के नए नवेले बागबां बनाये गए थे। इसके पहले कि वे अपने परिश्रम के जल से इस बागड़ को हरी भरी करते, रोक दिए गए। अपने पदभार ग्रहण करने के बाद वे ढंग से पीठ सीधी भी नही कर पाए थे कि दिल्ली से तगादा आ गया कि रुको, अभी नही। तब तक बागड़ी हस्ताक्षर कर चुके थे। नतीजतन वे महज डेढ़ घन्टे शहर कांग्रेस अध्यक्ष रह पाए और एक रिकॉर्ड भी बना दिये।
उनकी नियुक्ति पर अस्थाई रोक के पीछे स्थानीय स्तर का बड़ा विरोध बताया जा रहा है जिसका खुलेआम मुज़ाहिरा सोमवार को सबने देखा भी। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष के साथ आधा दर्जन पार्षद ने विरोध का बिगुल बजाया ओर भौपाल जा पहुंचे। कमलनाथ ने सबको धैर्य से सुना और शाम तक इंतजार करने को कहाँ। शाम आई तो बागड़ी विरोधियों की तो बांछे खिला गई लेकिन बागड़ी की उम्मीदों को मुरझा गई। ख़ुलासा को खबर मिली है कि इन्दौर की ये उलझन कांग्रेस अब भारत जोड़ो यात्रा के बाद ही सुलझाएगी।
उधर विनय बाकलीवाल प्रदेश संगठन में महासचिव होने के बाद भी फिर से गांधी भवन में काबिज़ हो गए है। उन्हें बागड़ी की बिगड़ी बात के संवरने तक फिर से कमान दी गई है। वे इससे संतुष्ट नही हुए है और सूत्र बताते है कि वे मंगलवार को गाड़ियों के काफ़िले के संग भोपाल कुंच कर गए हैं। बाकलीवाल की मंशा फिर से अध्यक्ष बनने की बताई जा रही है और वो भी प्रदेश बॉडी में रहते हुए..!! है न हैरत की बात। बाकलीवाल अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में आ गए है। उनके समर्थकों ने सोमवार को पार्टी कार्यालय के बाहर बागड़ी का पुतला दहन किया। विरोधियों ने इसे हाथों हाथ लिया और कहा कि हम मीडिया से बात करे तो अनुशासनात्मक कार्रवाई और पुतला फूंकने पर अब क्या कार्रवाई होगी?
दो कार्यकारी अध्यक्ष के साथ बने रहेंगे बागड़ी…!!
बागड़ी बने रहेंगे..!! होल्ड पर रखने के बाद भी अरविंद बागड़ी ही शहर कांग्रेस होंगे। ये संकेत कांग्रेस के अंदर से आये है। कारण है एक मोटी आम सहमति। बागड़ी के नाम पर विधायक जीतू पटवारी, संजय शुक्ला ओर विशाल पटेल में सहमति है। नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे का विरोध देर सबेर जीतू पटवारी की चौखट पर दम तोड़ देगा। सूत्र बताते है कि बागड़ी की नियुक्ति कोई हवा में नही की गई है। सोच समझकर ओर ठोक बजाकर उनके नाम को हरी झंडी दी गई है। दुर्दिनों के दौर में पार्टी का संचालन टेडी खीर है। शहर कांग्रेस का ही खर्च 20 से 25 लाख का है। ऐसे में बागड़ी या गोलू अग्निहोत्री जैसे नेता ही मुफ़ीद माने गए थे। इसमे बागड़ी सामाजिक धार्मिक और आर्थिक आधार पर बढ़त पा गए और गोलू कमलनाथ के वीटो के बावजूद रह गए।
सजन-शोभा का अलग गेम प्लान
शहर कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर विधायको की जुगलबंदी तेजतर्रार नेता सज्जन सिंह वर्मा को हजम नही हुई। बताते हैं उनको शोभा ओझा का भी साथ मिल गया है। जबकि ओझा को बागड़ी की ताजपोशी का अहम किरदार बताया जा रहा है लेकिन कांग्रेस के अंदर की खबर बता रही है कि अब लड़ाई बागड़ी की नही, बल्कि इन्दौर में दबदबे से जुड़ गई है कि इस शहर में चलेगी किसकी?
भारत जोड़ो यात्रा के बाद होगा फैसला
इन्दौर की उलझन अब भारत जोड़ो यात्रा के समापन के बाद सुलझेगी। इस आशय के संकेत भोपाल दिल्ली से आ गए है। 30 जनवरी को यात्रा का समापन कश्मीर में है। पार्टी के सभी बड़े नेताओं को वहां आमद देना है। इस बीच गणतंत्र दिवस का शोर रहना है। चूंकि इन्दौर का मामला सीधे अब दिल्ली से जुड़ गया है। बागड़ी की नियुक्ति का पत्र के सी वेणुगोपाल के हवाले से जारी हुआ था। होल्ड का लेटर भी दिल्ली से रवाना हुआ। इस मामले में अब जीतू पटवारी की भूमिका अहम हो चली है जिन्होंने इस मसले पर संजय शुक्ला ओर विशाल पटेल को भी साध रखा है।