अयोध्या : 28 साल के लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार आज बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. जहां कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया. इन 32 आरोपियों में भाजपा के दिग्गज़ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह का नाम भी शामिल था. अदालत का फ़ैसला 2300 पन्नो में आया है. जिसे सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव द्वारा लिखा गया है. आइए जानते है इस केस से जुड़ीं कुछ ऐसी बातों के बारे में जो हर कोई जानना चाहता है.
– बाबरी को 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने गिरा दिया था.
– 28 साल बाद आया केस में फ़ैसला.
– पहले 49 आरोपी थे. 17 के निधन के बाद 32 आरोपी बचे.
– सभी 32 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया.
– 16 सितंबर 2020 को मामले की अंतिम सुनवाई हुई थी.
– फ़ैसला सुनाते हुए जज सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि यह पूर्व नियोजित घटना नहीं थी..
– बाबरी मस्जिद को अचानक ढहाया गया.
– बाबरी विध्वंस के कारण अयोध्या राम मंदिर मामले को काफी बल मिला था.
– मामले में 351 लोग गवाह बनें.
– कुल 47 FIR हुई थी दर्ज.
– अदालत ने फोटो, वीडियो और अखबारों को साक्ष्य नहीं माना.
– आरोपियों को लेकर अदालत ने कहा कि, आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिशें की थी. जबकि ढांचा तोड़ने को लेकर आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं मिल सकें.
32 आरोपियों के नाम…
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, नवीन भाई शुक्ला, धर्मदास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, साध्वी ऋतंभरा, पवन पांडे, विजय बहादुर सिंह, आरएम श्रीवास्तव, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, प्रकाश शारना, गांधी यादव, जय भान सिंह, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, बृजभूषण सिंह, रामजी गुप्ता, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, सुधीर कक्कड़, सतीश प्रधान, राम चंद्र खत्री, संतोष दुबे, ओम प्रकाश पांडे, राम विलास वेदांती.