बाबा साहेब डंडे, झंड़े व एजेंडे का नाम नही, बल्कि आस्था, शिक्षा व संघर्ष का नाम हैं- हेमंत मुक्तिबोध

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महू:- सामाजिक समरसता मंच के तत्वाधान में बाबा साहेब अंबेडकर के परिनिर्माण दिवस पुण्यतिथि के अवसर पर बाबा साहब अंबेडकर नगर में रविवार को पुस्तक डॉक्टर अंबेडकर और जोगेंद्रनाथ मंडल का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। डॉ अम्बेडकर भारत समरसता के सूत्र में रहे अर्थात वो पाकिस्तान बनाने के पक्ष में नहीं थे उन्होंने इसका विरोध किया था लेकिन उस समय अंबेडकर जी का विरोध महात्मा गांधी ने किया था वह भारत को खंड खंड नहीं होने देना चाहते थे।

बाबा साहेब का पूरा जीवन संघर्षो में गुजरा उन्होंने बाल विवाह, जाती भेद ओर राजनैतिक संघर्ष झेला।

बाबा साहेब ने कहा कि मनुष्य के धर्म आवश्यक है यदि धर्म उसके जीवन मे नही होगा तो वह पशु बन जाएगा।

1927 मलाड तालाब संघर्ष पानी के लिए सबके समानता के लिये था।

कालाराम मंदिर में 4 वर्षों तक अहिंसक संघर्ष चलता रहा तब उन्होंने कहा कि जिस देश की पहचान राम से है मैं मंदिर में प्रवेश कर करोड़ो राम भक्तों के हृदय में सम्मान और आत्मीयता समानता चाहता हूं।

जन्म से सभी लोग समान हैं ईश्वर पुत्र के रूप में सभी को दें। सभी के कर्तव्य ओर अधिकार समान हो। यदि मुझे मतभेद भी करना पड़ा तो मैं भारत की सांस्कृतिक जड़ों से निकले बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लूंगा लेकिन हिंदुत्व से शत्रुता रखने वाले किसी धर्म को स्वीकार नही करूँगा।

हेमंत मुक्तिबोध
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में हेमंत मुक्तिबोध, सह क्षेत्र कार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ थे। अध्यक्षता संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने की। पुस्तक का परिचय डॉ कुमार संजीव ने दिया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रुप में एन सी नागराज व विधायक तुलसी सिलावट थे। कार्यक्रम में पूर्ण रूप से सामाजिक दूरी, सैनिटाइजर व मास्क का उपयोग किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में पायल परदेसी व उनके सहयोगियों द्वारा गीत की प्रस्तुति भी दी गई।

सामाजिक समरसता मंच इंदौर