हार्ट से संबंधित समस्या में कुछ सालों में काफी बढ़त हुई है। इसमें बात अगर ह्रदय की गति के अनियंत्रित होने की करी जाए तो इसमें हमारी लाइफ स्टाइल और खान पान से काफी बदलवाव आए हैं। यह बात डॉ अनिरुद्ध व्यास ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही। वह शहर के विशेष ज्यूपिटर हॉस्पिटल में पेसमेकर, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन और हार्ट से जुड़ी अन्य समस्याओं में डील करते हैं। उन्होंने कुछ सवालों के जवाब देते हुए हार्ट से जुड़ी समस्या के बारे में बताया।
सवाल. पीछले कुछ सालों में कितने प्रतिशत हार्ट की समस्या बढ़ी है?
जवाब. हार्ट की समस्या बढ़ने के दो मूलभूत कारण है। पहले के मुकाबले लोगों में जागरूकता बढ़ी है, वहीं टेक्नोलॉजी एडवांस हो गई है। इस वजह से बीमारी पकड़ में आ जाती है। वहींं इसके बढ़ते आंकड़ों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पीछले कुछ सालों में बुजुर्गों में 60 प्रतिशत तो युवाओं में 40 प्रतिशत तक की बढ़त देखने को मिल रही है। जो कि एक चिंता का विषय है।
सवाल. हृदय की गति अनियंत्रित होने के क्या कारण है?
जवाब. इसके दो कारण है। बाहरी कारण में मानसिक तनाव, खान पान, कोई बीमारी का होना शामिल है। वहीं आंतरिक कारण में हृदय में कोई अंडरलाइन बीमारी होना। ज्यादा तनाव और अन्य कारणों से हमारे शरीर में कोर्टिसोल, एड्रेनेलिन जैसे हार्मोन निकलते हैं जो की हार्ट के लिए नुकसानदायक होते हैं।
सवाल. क्या इसकी वजह हमारी बदलती लाइफ स्टाइल और खान पान है?
जवाब. खान पान अड़ल्ट्रेशन और पॉल्यूशन बढ़ गया है, यह एक हद तक जिम्मेदार है। खाने में पैकेज फूड का चलन बढ़ा है, शुद्ध भोजन ना होने से कम उम्र में हार्ट की समस्या सामने आ रही है। वहीं लोगों की जीवनशैली में मानसिक तनाव का बढ़ना, व्यायाम कम होना इस सब का असर हमारे हार्ट पर देखने को मिल रहा है। खान पान और जीवनशैली में बदलाव इन दोनों के समावेश से यह बीमारियां सामने आती है।
सवाल. भोजन और जीवनशैली में किन चीजों को अवॉइड करना चाहिए?
जवाब.अगर बात भोजन के करी जाए, तो इसमें दो तरह के खान पान को अवॉइड करना चाहिए, एक होता है प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेड जिसमें चीनी, मैदा, बाहर का फ्राय आइटम, और अन्य चीजों को अवॉइड करना चाहिए। वहीं रियूज्ड ऑयल बार बार इस्तेमाल होने से ट्रांस फैट में बदल जाता है, जो की हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। वहीं घरों में भी शाम के पके खाने को सुबह और सुबह पके खाने को शाम को गर्म कर खाने से यह शरीर को नुकसान पहुंचाता है। खाना जितना हो सके रॉ फॉर्मेट में होना चाहिए।
सवाल.क्या खून वाकई में पतला और गाढ़ा होता है, यह हार्ट के लिए नुकसानदायक है?
जवाब. खून का गाढ़ा या पतला होना एक भ्रांति है, खून की जो विस्कोसिटी यानी घनत्व हर इंसान में सामान्य होता है। यह सब खून में क्लाॅट बनने की टेंडेंसी पर निर्भर करता है। हार्ट में ब्लॉकेज के चलते इंफ्लेमेशन होने और अन्य कारणों से क्लाॅट बन जाते हैं। इस वजह से हार्ट में समस्या आती है, आमतौर पर खून पतला करने की दवाई क्लाॅट बनने को रोकती है। थोड़ा जटिल होने से डॉक्टर सामान्य रूप से समझाने के लिए कहते हैं कि यह खून पतला करने की दवाई है। वहीं कई लोग कहते हैं कि ठंड में हार्ट अटैक बढ़ जाते हैं। यह एक भ्रांति है, ठंडे प्रदेशों में लोग रहते हैं। हम मेमल्स है, हमारी बॉडी का टेंपरेचर 98.3 होता है। यह हो सकता है, कि ठंड में थोड़ी आलस और अन्य कारणों से समस्या हो सकती है।
सवाल. आपने एमबीबीएस, एमडी और मेडिकल में अन्य स्पेशलाइजेशन कहां से किया है?
जवाब. मैने अपना एमबीबीएस एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से किया है, इसके बाद मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली से एमडी की पढ़ाई फर्स्ट रैंक के साथ पूरी की। इसके लिए मुझे कॉलेज यूनिवर्सिटी द्वार गोल्ड मेडल से नवाजा गया था। मैने कार्डियोलॉजी में डीएम जीडी पंत पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज दिल्ली से पूरा किया। वहीं इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन और अन्य क्षेत्रों में मुंबई और जर्मनी से फेलॉशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया। देश के कई बड़े हॉस्पिटल के साथ इंदौर के मेदांता और अन्य अस्पताल में अपनी सेवाएं दी है। अब में वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठत विशेष ज्यूपिटर हॉस्पिटल में हृदय रोग विशेषज्ञ इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी
कंसल्टेंट , पेसमेकर, इंटरवेंशन में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। में ईसीजी, ,एंजियोग्राफी, पेसमेकर, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन में जांच और इलाज करता हूं।
सवाल. क्या यह समस्या जेनेटिक हो सकती है?
जवाब.हार्ट की बीमारी में जेनेटिक एक कारण हो सकता है, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं की परिवार में किसी को हार्ट की बीमारी थी तो बच्चों में होना जरूरी है। कई लोग इसको लेकर चिंतित रहते हैं, यह बीमारी कई बार ऐसे लोगों में पाई जाती है जिनकी फैमिली हिस्ट्री नहीं होती है। कई लोग इसको लेकर हमेशा सदमे में रहते हैं। अगर समस्या है तो जांच करवाकर इलाज करवाना चाहिए, हो सकता है जांच पर कोई बीमारी सामने ना आए।
सवाल. पेसमेकर लगाने के बाद एक व्यक्ति का जीवन कैसा होता है?
जवाब. पेसमेकर एक ऐसा यंत्र है जो व्यक्ति की हार्ट की गति को नियंत्रित करता है। इसे आम भाषा में समझे तो यह घरों में लगने वाले इन्वर्टर और स्टेपलाइजर का मिला जुला रूप होता है। यह कई प्रकार का होता है, इसे व्यक्ति की प्रिंसिपल प्रोब्लम के आधार पर लगाया जाता है। यह हृदय की गति को नियंत्रित करता है। कई लोगों में भ्रांति है कि पेसमेकर लगने पर हम फोन पर बात नही कर पाएंगे, या रनिंग और अन्य एक्टिविटी नहीं कर पाएंगे। पेसमेकर लगने के बाद कई लोग 20 किलोमीटर तक दौड़ते हैं, स्विमिंग करते हैं और अन्य काम करते हैं।