कोविड में भारी मात्रा में इस्तेमाल किए गए स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट के चलते ‘अवैस्कुलर नैक्रोसिस’ के केस हुए कॉमन, हिप रिप्लेसमेंट की समस्या को दे रहे बढ़ावा : Dr. Vikas Jain (Shalby Hospital)

Suruchi
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कोविड के दौरान कई लोगों ने स्टेरॉयड का सेवन भारी मात्रा में किया है। उस समय के हिसाब से वह सही था लेकिन उसके साइड इफेक्ट अब देखने को मिल रहे हैं जिसमें अवैस्कुलर नैक्रोसिस के कैसेस काफी कॉमन हो गए हैं जिस वजह से हिप में खून का संचार कम हो गया है और वर्तमान समय में हिप रिप्लेसमेंट से संबंधित केस बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। इसमें युवा वर्ग भी शामिल हैं। इसी के साथ इसका दुष्प्रभाव हमारे शोल्डर में भी कुछ हद तक देखा जा रहा है। अगर बात इंडियन पॉपुलेशन में हड्डियों से संबंधित समस्या की करी जाए तो यह बहरी कंट्री के मुकाबले ज्यादा होती है। वर्तमान समय में हमारा खान-पान और लाइफस्टाइल के बदलने की वजह से इस तरह की समस्याएं बढ़ती जा रही है। यह बात डॉक्टर विकास जैन ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही व शहर के प्रतिष्ठित शेल्बी हॉस्पिटल में ज्वाइंट एंड हिप रिप्लेसमेंट सर्जन के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।

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सवाल : हिप रिप्लेसमेंट किस पद्धति से किया जाता है क्या इसमें भी कोई नवाचार हुआ है

जवाब : पोस्टीरियर पद्धति से जो हिप रिप्लेसमेंट किया जाता है इसमें पेशेंट को कई प्रिकॉशन लेने होते हैं जिसमें कुर्सी से नीचे नहीं बैठना, इंडियन टॉयलेट इस्तेमाल नहीं करना, पैर क्रॉस नहीं करने के लिए कहा जाता है। वही कई बार इसमें ऑपरेशन के बाद दोनों पैर बराबर नहीं रहते हैं। इसी के साथ इस टेक्निक में 25 सेंटीमीटर तक का चीरा लगता है।मैं मगर अपनी बात करू तो में डायरेक्ट एंटीरियर पद्धति से हिप रिप्लेसमेंट करता हूं जिसमें 8 सेंटीमीटर तक का छोटा चीरा लगाया जाता है इस पद्धति में मसल डैमेज नहीं होती है। इसमें पेशेंट की रिकवरी भी जल्दी होती है वही पेशेंट को किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं होती है। इस सर्जरी को परफॉर्म करने वाला एमपी में केवल मैं 1 डॉक्टर हूं जो इसे कर रहा हूं। इस तकनीक में भी दो डिवीजन होते हैं जिसमें बिकिनी इंसीशन तकनीक से मैं और एक दिल्ली में डॉक्टर इसे परफॉर्म कर रहे हैं। मेरे पास पुणे, मुंबई, राजस्थान के अलावा बांग्लादेश और बाहर के देशों से भी पेशेंट आ रहे हैं। इस साल की अगर बात की जाए तो मैं सौ से ज्यादा ऑपरेशन कर चुका हूं।

सवाल : नी रिप्लेसमेंट की जरूरत क्यों पड़ती है किस वजह से यह समस्या देखी जाती है

जवाब : नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की अगर बात की जाए तो इसकी ज्यादातर जरूरत 50 साल की उम्र के बाद देखने को मिलती है वहीं कई बार युवा वर्ग में कोई एक्सीडेंट के कारण भी इसकी जरूरत पड़ती है। कई बार लिगामेंट खराब हो जाने की वजह से सही समय पर ट्रीटमेंट ना करने से यह घुटने को डैमेज कर देता है। इंडिया में नी रिप्लेसमेंट दूसरी कंट्री के मुकाबले ज्यादा होता है। दूसरे देश के मुकाबले हमारी आदत है थोड़ी अलग हैं जिसमें जमीन पर बैठना, इंडियन टॉयलेट इस्तेमाल करना, वजन ज्यादा होना जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। आमतौर पर उम्र के साथ हड्डियों से संबंधित समस्याएं बढ़ती है लेकिन घुटनों में यह ज्यादा इसलिए देखी जाती है क्योंकि पूरे शरीर का वजन हमारे घुटनों पर पड़ता है। 40 साल की उम्र से घुटने से संबंधित समस्या शुरू हो जाती जिसमें पहले घुटने की टोपी घिसना शुरू होती है और इसके बाद धीरे-धीरे यह पूरा डैमेज हो जाता है।

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सवाल :  लिगामेंट फट जाना और शोल्डर से संबंधित समस्या किस वजह से होती है

जवाब : कई बार एक्सीडेंट के चलते और स्पोर्ट पर्सन में स्पोर्ट एक्टिविटी के दौरान घुटने का लिगामेंट फट जाता है जिस वजह से लिगामेंट सर्जरी की आवश्यकता होती है। आमतौर पर कई बार प्रॉपर वार्म अप नहीं होने की वजह से अचानक जब घुटने पर लोड पड़ता है तो इस तरह की समस्या देखने को सामने आती है।अगर बात शोल्डर रिप्लेसमेंट की करी जाए तो कई बार सोल्डर मैं अर्थराइटिस, मसल रोटेट का कट जाना, शोल्डर की हड्डियों का फ्रैक्चर होना जिन्हें ठीक नहीं कर पाने की वजह से कई बार शोल्डर रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है। रिवर्स शोल्डर तकनीक से इसका रिप्लेसमेंट किया जाता है जिसमें शोल्डर में मौजूद बोल को हटा दिया जाता है और उसकी जगह कप लगा दिया जाता है। इस ऑपरेशन के बाद पेशेंट को एक से डेढ़ महीने तक प्रिकॉशन लेने की जरूरत होती है।

सवाल : आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब : मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज ऑफ मणिपाल कर्नाटक से पूरी की इसके बाद केएमसी मणिपाल यूनिवर्सिटी के बेंगलुरु से मैंने एमएस की पढ़ाई पूरी की। ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और हिप रिप्लेसमेंट की ट्रेनिंग टाटा हॉस्पिटल जमशेदपुर से पूरी की इसके बाद ऑर्थोस्कोपी से संबंधित सर्जरी के लिए मैंने ट्रेनिंग यूरोप के कस्तेश हॉस्पिटल से कंप्लीट की जो कि यूरोप का फोर्थ रैंक हॉस्पिटल है। वही शेल्बी हॉस्पिटल अहमदाबाद से से ऑब्जर्वरशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया। देश के अन्य अस्पतालों में सेवाए देने के बाद अभी वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित शेल्बी हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।