अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन करने का शुभ मुहूर्त, जानें महत्त्व और पूजा विधि

Share on:

नवरात्रि का त्यौहार पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता हैं। इस पर्व को सबसे ज्यादा पावन पर्व माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं में इस नवरात्रि का काफी महत्त्व है। आज नवरात्री का 8वां दिन है। ऐसे में आज कन्या पूजन होगा। अष्टमी और नवमी एक साथ होने के कारण कन्या पूजन इसी दिन होगा। इसी के साथ इस दिन से ही सभी शुभ काम किए जाते हैं। भक्त इन नौ दिनों मां के लिए व्रत भी रखते है। आपको बता दे, मां दुर्गा की विदाई कन्या पूजन के साथ ही की जाती है। ऐसा कहा गया है कि नवरात्रि स्थापना के बाद विदाई भी उसी तरह से की जानी चाहिए। वहीं अधिकतर लोग इस ही इन कन्या पूजन करते है। वैसे तो कन्या पूजा सप्तमी से ही शुरू हो जाती है। ये पूजन सप्तमी से शुरू होकर अष्टमी और नवमी के दिन तक मनाया जाता है।

कन्या पूजन महत्व –

नवरात्रि पर सभी शुभ कार्यों का फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। इस दिन कन्याओं को घर पर बुला कर उनका पूजन करने से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है। इनके पूजन से विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है। जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होतीं जितनी की कन्या पूजन से होती हैं।

शुभ मुहूर्त और विधि –

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 23 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 57 मिनट से।
अष्टमी तिथि समाप्त- 24 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक।
नवमी तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 58 मिनट से।
नवमी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक।

ऐसा होता है कन्या पूजन –

आपको बता दे, नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन के बाद ही भक्त अपना व्रत पूर्ण करते हैं। इस दिन भक्त अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्या को भोग लगाकर दक्षिणा देते हैं। इससे माता प्रसन्न होती हैं। इस कन्या पूजन में दो से 11 साल की 9 बच्च‍ियों की ही पूजा की जाती है। इससे बड़ी कन्याओं की पूजा नहीं की जाती है। बता दे, दो वर्ष की कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं।

कन्या पूजन और महानवमी का मुहूर्त –

24 अक्टूबर 2020 को महानवमी मनाई जाएगी। ऐसे में सुबह 6 बजकर 58 मिनट से नवमी की शुरुआत होगी और यह अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक बरकरार रहेगी। कन्या पूजन के लिए कहा जाता है कि सूर्योदय के बाद सुबह 9 बजे तक इसे पूरा कर लेना चाहिए।

इसलिए शुरू हुआ था कन्या पूजन –

पुराणों के अनुसार इंद्र ने जब ब्रह्मा जी से भगवती को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने सर्वोत्तम विधि के रूप में कुमारी पूजन ही बताया था। इसलिए नौ कुमारी कन्याओं और एक कुमार को विधिवत घर में बुलाकर और उनके पांव धोकर रोली-कुमकुम लगाकर पूजा-अर्चना की जाती है। उसके बाद उन्हें वस्त्र आभूषण, फल पकवान और अन्न दिया जाता है। ऐसा करने से भक्त पर मां शक्ति की कृपा हमेशा बनी रहती है।