आईएएस प्रोबेशनर ने पूजा खेडकर को पुणे से वाशिम ट्रांसफर करने का फैसला किया है। उनके खिलाफ प्रशासन को कई शिकायतें मिलीं। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार के सहायक सचिव एसएम महाडिक ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है। पूजा खेडेकर प्रशासनिक सेवा में आने के बाद अपनी नियुक्ति और संदिग्ध घटनाओं के कारण चर्चा में हैं। अब एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने पूजा खेडकर पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पूजा खेडकर प्रशिक्षु अधिकारी होने के बावजूद पिछले दो महीनों से विभिन्न विशेषाधिकारों की मांग कर रही हैं। पूजा खेडकर ने निजी वाहन ऑडी के लिए लाल-नीली लैंप, लेटर पैड, नेमप्लेट, अलग ऑफिस चैंबर और स्टाफ की भी मांग की। पूजा खेडकर को अभी तक ये विशेषाधिकार नहीं मिले हैं, लेकिन वो लगातार ये मांग करती रही हैं। इसके बाद अब आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने पूजा खेडकर की आईएएस पद पर नियुक्ति पर संदेह जताया है।
आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा जांच की मांग
पूजा खेडकर आईएएस कैसे बनीं, इस पर विवाद है। आरटीआई कार्यकर्ता ने पूजा खेड़कर का ऑडी कार में आना, दूसरे लोगों के केबिन पर कब्ज़ा करना, अधिकारियों को परेशान करना आदि जैसी गतिविधियाँ को लेकर शिकायत दर्ज की थी। जिला पदाधिकारी सुहास दिवसे ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजी है। इसके बाद पूजा खेडकर का ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया।
उन्होंने मांग की हैं कि पूजा खेडकर पर लगे आरोपों की गहराई से जांच होनी चाहिए। IAS बनने के बाद उन्हें अपनी मेडिकल परीक्षा देनी पड़ी। वह छह बार अनुपस्थित रहीं। उन्होंने आईएएस की परीक्षा भी ओबीसी से दी। जबकि उनके पिता की आय 40 करोड़ रुपये है।
पूजा खेडकर की मुश्किलें बढ़ीं
गैरअपराधी साक्ष्य में पिता के पेशे को ध्यान में रखा जाता है। इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने खुद को मानसिक रूप से बीमार भी बताया है। इसलिए आईएएस एक बहुत ही प्रतिष्ठित सेवा है। विजय कुम्हार ने आगे कहा, ऐसे व्यक्ति का इस सेवा में होना गलत हैं। इसके बाद पूजा खेड़कर की मुसीबतें बढ़ती नजर आ रही हैं।
कौन हैं पूजा खेडकर?
पूजा खेडकर 2022 बैच की प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी हैं। कहा जाता है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 821 (Pwd-5) रैंक हासिल की है। वह पुणे में सहायक कलेक्टर के रूप में शामिल हुईं। लेकिन अब उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया है। पूजा खेडकर के दादा एक सरकारी कर्मचारी थे। जबकि पिता दिलीपराव खेडकर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के सेवानिवृत्त अधिकारी थे।