दिल्ली सरकार हर साल अक्टूबर और नवंबर में बढ़ने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय है। इसके तहत, सरकार ने एक विशेष विंटर एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसमें ऑड-ईवन योजना को फिर से लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
महत्वपूर्ण बैठक और निर्णय
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में न केवल ऑड-ईवन योजना, बल्कि पटाखों पर रोक लगाने के फैसले पर भी चर्चा हुई। इसके तहत, प्रदूषण के बढ़ने पर ऑड-ईवन नियम को लागू किया जा सकता है।
हरित रत्न पुरस्कार और दंडात्मक कार्रवाई
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने घोषणा की है कि जो भी एजेंसी या कंपनी प्रदूषण को नियंत्रित करने में उत्कृष्ट कार्य करेगी, उसे ‘हरित रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा। वहीं, प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।
21 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान
इस बार एक 21 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान तैयार किया गया है। इसमें पहली बार हॉट स्पॉट की ड्रोन निगरानी करने का निर्णय लिया गया है, जिससे प्रदूषण के स्रोत का रियल टाइम में पता लगाया जा सकेगा।
एक 6 सदस्यीय स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया गया है। सभी निजी और सरकारी निर्माण स्थलों को 7 अक्टूबर तक मापदंडों को पूरा करने के लिए कहा गया है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सभी निर्माण स्थलों को 500 मीटर से अधिक की दूरी पर पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा।
दिल्ली में 85 रोड स्वीपिंग मशीनें और 500 पानी छिड़कने वाली मशीनें लगाई जा रही हैं। इसके अलावा, 200 मोबाइल एंटी स्मॉग गन का उपयोग किया जाएगा। प्रदूषण को कम करने के लिए कई इलाकों में आर्टिफिशल बारिश की योजना भी बनाई गई है।
दिल्ली सरकार ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को आर्टिफिशल बारिश कराने के लिए एक पत्र लिखा है। हालांकि, इस बारिश को केवल आपातकालीन स्थिति में करने का सुझाव दिया गया है। सरकार का उद्देश्य समय पर कदम उठाना है ताकि लोगों को प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं का सामना न करना पड़े।
ऑड-ईवन योजना
को वैकल्पिक दिनों पर चलाने की अनुमति दी जाती है। नंबर प्लेट के आखिरी अंक के आधार पर वाहनों को चलाने की अनुमति मिलती है—1, 3, 5, 7, 9 को एक दिन और 0, 2, 4, 6, 8 को दूसरे दिन। इस योजना से सड़क पर ट्रैफिक आधा हो जाता है। इसे पहली बार दिसंबर 2015 और जनवरी 2016 में लागू किया गया था।
गंभीर प्रदूषण की समस्या
हर साल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर स्थिति में पहुँच जाता है। इसके परिणामस्वरूप, लोगों को सांस संबंधी समस्याएँ होती हैं। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और दिल्ली में वाहनों के प्रदूषण को इस समस्या का मुख्य कारण बताया जाता है, जिससे दिल्ली ‘गैस चैंबर’ में तब्दील हो जाती है।