24 साल के बीजू जनता दल शासन के बाद इस महीने ओडिशा में सत्ता में आई सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के चुनावी वादे के अनुरूप पुरी के जगन्नाथ मंदिर के सभी चार द्वार गुरुवार को 2020 के बाद पहली बार भक्तों के लिए खोल दिए गए। मंदिर की अनेक जरुरत मंद कार्य को पूरा करने के लिए सरकार ने एक कोष गठित करने का भी फैसला किया है। शपथ ग्रहण के एक दिन बाद द्वार खोले जाने पर मुख्यमंत्री मोहन माझी और उनके मंत्रिपरिषद के सदस्य मंदिर में मौजूद थे।
एक श्रद्धालु ने कहा कि द्वार बहुत पहले ही खोल दिए जाने चाहिए थे। ‘मुझे खुशी है कि नई सरकार ने अपना वादा निभाया है।’ 2020 में कोविड-19 महामारी फैलने पर जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने 12वीं सदी के स्मारक के सभी चार द्वार बंद कर दिए थे। बाद में केवल सिंहद्वार (सिंह द्वार) को भक्तों के लिए खोला गया। अश्व द्वार (घोड़ा द्वार), व्याघ्र द्वार (बाघ द्वार), हस्ती द्वार (हाथी द्वार) गुरुवार तक बंद रहे, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी हुई। अपने चुनावी घोषणापत्र में भाजपा ने सत्ता में आते ही शेष द्वार खोलने का वादा किया था।
बुधवार को अपनी पहली कैबिनेट बैठक में माझी ने श्रद्धालुओं की भीड़ और असुविधा का हवाला देते हुए कहा कि गुरुवार को सभी चार द्वार खोल दिए जाएंगे। उन्होंने कहा यह निर्णय तीर्थयात्रा को सुगम बनाने के लिए लिया गया है। माझी ने मंदिर के लिए 500 करोड़ रुपये की घोषणा करते हुए कहा कि इसके प्रबंधन, सौंदर्यीकरण और मरम्मत के लिए धन का उचित आवंटन नहीं किया गया। जगन्नाथ मंदिर हाल ही में संपन्न चुनाव के दौरान एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा। भाजपा ने मंदिर के रत्न भंडार खजाने की गुम हुई चाबियों का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने लोगों को रत्न भंडार में मौजूद बहुमूल्य वस्तुओं की स्थिति के बारे में बताने का वादा किया है।