इन्फिनिटी टेल्स के ओपन माइक में कलाकारों ने फहराया हुनर का परचम

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बायपास स्थित हाईवे ट्रीट पर आयोजित हुए ओपन माइक में कलाकारों अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में गायन, कवितापाठ और स्टोरीटेलिंग जैसी विधा को शामिल किया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मानव सिंह ने कविता पढ़ी-‘ज़िंदगी तन्हा है, अब इसे ख़राब कौन करे, इश्क सती की तपस्या है, राधा का सुकून और मीरा की इबादत है, अब बताओ इसे दाग़दार कौन करे।’ इसके अलावा डॉ. चिराग श्रीवास्तव के कवितापाठ ने दाद बटोरी।

चिराग ने बताया कि वे पेशे से डॉक्टर हैं और समय निकालकर अपने लेखन के शौक का परिमार्जन करते रहते हैं। प्रणय यादव ने अपनी कविता में ही अपने नाम का बख़ूबी इस्तेमाल किया-सुना है दिल के मोहल्ले मे तेरे , चाहने वालों की बड़ी लंबी कतार है। पर तेरा मुझ सा आशिक़ है कौन कहाँ ; “प्रणय” का तो अर्थ ही प्यार है।’ वहीं नीतू गर्ग ने जब बिना संगीत के ‘कजरा मोहब्बत वाले’ गीत को अपनी मधुर आवाज़ में पिरोया तो दर्शक वाह किये बिना न रह सके। मनीष सिंह ने ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ नगमे को आवाज़ दी।

वहीं उमेश दुबे ने ‘सजदा’ और ‘मितवा’ गीत गाकर समां बांध दिया। उमेश गीत भी लिखते हैं और स्वलिखित गीत ‘शॉट टकीला’ की चंद पंक्तियां उन्होंने श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत की। कार्यक्रम में सबसे ख़ास प्रस्तुति रही प्रसून पांडे की और उन्होंने अपने अलहदा अंदाज़ और सुरीली आवाज़ से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने ‘पुकारता चला हूँ मैं’ और ‘दिलबर मेरे कब तक मुझे’ गीत की प्रस्तुति दी।

इस कार्यक्रम के आयोजक एवं इन्फिनिटी टेल्स के संस्थापक लोकेश शर्मा ने बताया कि वे नई प्रतिभाओं को मंच देने के लिए शहर में इस तरह के आयोजन करवाते रहते हैं। साथ ही इन प्रतिभाशाली कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें सोशल मीडिया पर प्रमोट भी करते हैं। उन्होंने बताया कि इस ओपन माइक में स्टैंड अप कॉमेडी को इसलिए सम्मिलित नहीं किया क्योंकि आजकल स्टैंड अप के नाम पर फूहड़ता परोसी जाने लगी है। एक स्वस्थ और सभ्य माहौल में सुसंस्कृत कला पेश की जाए यही इन्फिनिटी टेल्स के ओपन माइक का ध्येय है। कार्यक्रम का कुशल संचालन ऋक्षमहिषी ने किया एवं आभार सिद्धार्थ ककवानी ने माना।