अर्जुन राठौर
बात उन दिनों की है जब कमलेश्वर जी सारिका के संपादक थे और उन्होंने समांतर कहानी आंदोलन चला रखा था समांतर कहानी आंदोलन के माध्यम से समाज के शोषित वर्ग की कहानियां सारिका में प्रकाशित की जाती थी समांतर कहानियां आंदोलन को जमीन से जोड़ने के लिए कमलेश्वर जी ने मांडव तथा उसके बाद छिंदवाड़ा में समांतर कहानी लेखकों की बैठक आयोजित की थी उस दौरान दामोदर सदन उनके साथ मध्यप्रदेश से जुड़े हुए थे और दामोदर सदन ने मांडव सम्मेलन आयोजित किया था।
इस सम्मेलन में जाने का तो मौका मुझे नहीं मिला लेकिन छिंदवाड़ा में आयोजित सम्मेलन में मैंने जरूर भाग लिया मुझे याद है उस समय इंदौर के कहानीकार सूर्यकांत नागर जी भी छिंदवाड़ा मेरे साथ गए थे छिंदवाड़ा में तामिया डाकबंगला सबसे ऊंची घाटी पर बना हुआ है यह डाक बंगला देश भर में प्रसिद्ध है।