कहो तो कह दूँ – हंगामा है क्यूँ बरपा एक ‘चिलम’ जो चढ़ा ली है

Shivani Rathore
Published on:
Bharti Singh

चैतन्य भट्ट। ‘अकबर अलाहाबादी’ की एक मशहूर गजल है जिसे ‘गुलाम अली’ ने गाया था और जो बेहद मकबूल भी हुई है ‘हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है’ अब उस गजल को आजकल फिल्मी दुनिया में इस तरह से गाया जा रहा है ‘हंगामा है क्यूँ बरपा एक चिलम जो चढ़ा ली है’ अब देखो न बड़े बड़े सुपर स्टार्स इस ‘गांजे की चिलम’ के चक्कर में जेल जा रहे है कल तक जो भारती सिंह और उनके पतिदेव लोगों को हंसा हंसा कर लोटपोट किये जा रहे थे आज जेल में बैठकर रो रहे है कारण सिर्फ इतना कि उनके घर से कुल जमा ‘छियासी ग्राम’ गांजा जब्त हो गयाl ‘नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो’ को पता नहीं क्यों आजकल गांजे से कुछ ज्यादा ही दुश्मनी सी हो गयी है, बेचारे अपने फ़िल्मी स्टार रात दिन मेह्नत करते हैं लोगों का मनोरंजन करते हैं और थक हार कर घर आने के बाद एकाध चिलम चढ़ा भी लेते है तो ऐसा कौन सा गुनाह कर देते है कि सीधे जेल पंहुच जाते हैंl वैसे ‘दारू’ को बड़े आदमियों का नशा माना जाता है और गांजा ‘गरीब गुरूबों’ का, लोग बाग़ गांजा पीने वाले को को ‘गंजेड़ी’ कह कर उसका मजाक भी उड़ाते है पर गंजेड़ियों का कहना है कि जब वो चिलम खींच कर उसका धुंआ अंदर करते है तो उन्हें जन्नत का सुख महसूस होता है कई ‘काल गंजेड़ी’ ‘संगमरमर’ की चिलम बनवा लेते है तो कुछ ‘चन्दन’ की चिलम बनवाते है और जब इस चन्दन की चिलम से वो ‘सुट्टा’ लगाते हैं तो पूरा माहौल चन्दन की सुगंध से झूम जाता है। वैसे अपने को ये बात समझ में नहीं आती कि जब भांग के ठेके सरकार ने खोल रखे है तो गांजे से इतनी दुश्मनी क्यों, दोनों ही एक ही प्रजाति के पौधों से बनते है आपस में रिश्तेदार भी हैं लेकिन एक पर कृपा और दूसरे को सजा बहुत नाइंसाफी है गांजा तुम्हारे साथl गंजेड़ी बताते हैं कि गांजा पियो और उसके ऊपर से ‘तर माल’ खाओ मसलन ‘मलाई’ ‘रबड़ी’ ‘मिश्री मलाई’ ‘शुद्ध घी का हलवा’ तो आपका दिमाग तेज हो जाता है अब इन गंजेड़ियों की बातों पर कितना यकीन करें ये समझ से बाहर की बात है , पर बेचारी भारती सिंह के घर से ‘छियासी ग्राम’ गांजा क्या मिल गया पति के साथ अंदर हो गयी नारकोटिक्स वालों को ये तो सोचना था कि छियासी ग्राम गांजा भारती सिंह के खुद के वजन के हिसाब से तो कोई मायने ही नहीं रखता । जब से नारकोटिक्स वालों ने फ़िल्मी दुनिया के लोगो पर अपना कोड़ा चलाया है तबसे बेचारे एक चिलम के लिए तरस गये है वैसे अपना मानना है कि अपने देश में गांजा तो नदियों के किनारे धूनी जमाये साधुओं बैरागियों का सबसे पसंदीदा नशा है जो उनके मन के वैराग्य को बनाये रखता हैl गांजे पीने के बाद कम से कम आदमी कोई अपराध तो नहीं करता, कभी सुना है कि किसी गंजेड़ी ने रेप कर दिया हो, किसी ही हत्या कर दी हो, किसी को लूट लिया हो, वो तो अपने में मगन रहता है चार छह सुट्टा लगाता है और दुनिया की सारी चिंताओं से दूर हो जाता हैl दारू के लिए तो जगह चाहिये, ग्लास चाहिए, नमकीन की जरूरत पड़ती हैं पर गाँजे के लिए इन तमाम नौटंकियों की कोई जरूरत नहीं है एक चिलम जेब में रखो और किसी भी पेड़ के नीचे, पुलिया के किनारे अपना डेरा जमा लो और फिर आनंद ही आनंद l अपनी नारकोटिक्स वालों को सलाह हैं कि हुजूर चरस, कोकीन, हशीश, अफीम, एलएसडी, हेरोइन जैसे नशे की चीजों पर छापा मारो गांजा तो गरीब गुरूबों का नशा माना जाता है मजदूर, रिक्शे वाले, लेबर, ये ही तो होते है इसके चाहने वाले इसलिए इनका दिल मत तोड़ो l

ये तो पुण्य का काम है

जबलपुर नगर निगम इन दिनों बड़ा दुखी है और उसके दुःख का कारण ये है कि वो शहर के लोगों को पानी पिलाने में ‘साठ करोड़’ रुपया खर्चा कर रहा है और उसके बदले में उसे ‘जल कर’ के रूप में कुल जमा ‘उन्तीस करोड़’ ही वापस मिल रहे है अब इस नगर निगम को कौन समझाए कि अपनी भारतीय संस्कृति में किसी भूखे को खाना खिलाना और किसी प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य का काम माना गया है ये तो सोचो कितना पुण्य कमा रहे हो नगर निगम तुम, यदि किसी प्यासे शहर को तुमने फ्री में पानी पिला भी दिया तो कौन सा तुम्हारे ऊपर पहाड़ टूट पड़ेगा पर नगर निगम अपना ही रोना रोये जा रहा है नगर निगम को तो ये सोचना चाहिए कि तुम्हें भी तो नर्मदा से फ्री का पानी मिल रहा है अगर नर्मदा मैया भी जल कर तुमसे मांगने लगी तो क्या होगा, वैसे जबलपुर वासियों का तो नर्मदा मैया पर पूरा हक़ है और नर्मदा मैया अपने बच्चो को यदि पानी पिला रही है तुम्हारे ‘थ्रू’ तो इसमें तुम्हारा कोई अहसान नहीं है, चुपचाप पानी पिलाते रहो और पुण्य लूटते रहो, ऊपर जाओगे तो तुम्हें ऊपर वाला जन्नत ही भेजेगा इसलिए आज के बाद ये रोना धोना बंद करो और जितना जल कर मिल रहा है उसमें संतोष करो समझ गए न l

‘सुपर हिट ऑफ़ द वीक”

‘तुम मुझसे कितना प्यार करते हो’ श्रीमती जी ने पूछा

‘उतना जितना शाहजंहा मुमताज महल’ से करता था’

तो तुम भी मेरी याद में ताजमहल बनवाओगे न श्रीमती जी ने फिर पूछा

‘मैंने तो कब से प्लाट ले रखा है तू ही देर कर रही है पगली’ श्रीमान जी का उत्तर थाl