दुर्दांत दुखांत

Shivani Rathore
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जब समूचे देश का मीडिया गला फाड़ फाड़ कर रिया , दीपिका , सारा की दिनचर्या हमको परोस रहा था , तब एक असहाय बेटी अस्पताल के पलंग पर पड़ी न्याय मांग रही थी !

दीपीका की गाड़ी के पीछे दौड़ती हुई , हांफती हुई उस announcer को उस पीड़िता की पीड़ा न दिखाई दी , न सुनाई दी !
लानत है हम सब पर !
मीडिया , पुलिस , प्रशासन सब पर !
सड़ान्ध है !
ज़मीर बेच चुके ,
आत्मा मर चुकी ,
ज़बान सिल चुकी ,
आंखे मूंद चुकी है !
हमेशा की तरह ,
वहशियत के बाद सियासत होगी ,
सिर्फ किस्सा गोई ,
घड़ियाली आँसू ,
ट्वीट , तख्ती , प्रदर्शन , फ़ोटो !
घरों , ऑफिसों में बैठकर लिखा जाएगा , ताने दिए जाएंगे , कोसा जाएगा ,
T V चैनल पर आकर debate होंगे ,
सरकार और प्रशासन को भरपूर , भरपेट लानत दी जाएगी ,
पर होगा क्या ???
कांग्रेस बनाम बीजेपी ,
सपा बनाम बीजेपी ,
मायावती बनाम बीजेपी ,
भीम सेना के प्रदर्शन होंगे ,
और तमाम महिला संगठंनो के ज्ञापन होंगे ,
सब नाटक होंगे ,
एक तरफ बयान देंगे दूसरी तरफ दावत खाने बैठ जाएंगे !
दलित बनाम सवर्ण भी होगा ,
जाति वाद को भी मथा जाएगा !
पर होगा क्या ?????
लड़की के कपड़ों की भी चर्चा होगी ,
लड़कियों के मॉडर्न होने की भी चर्चा होगी , लड़कियों की पढ़ाई और शिक्षा पर भी चर्चा होगी !!!
फिर होगा क्या ?????

मूल बात पर कोई नहीं आएगा !!!!
मूल प्रश्न ये है कि कौन हैं ये पुरुष ?
क्या है इनकी सोच ?
क्या है इनकी परवरिश ?
क्या है इनकी मानसिकता !!!!
ये प्रश्न धर्म , जाति , सरकार , कपड़े , शिक्षा , मॉडर्न किसी का नहीं है

अपने बेटों पर ध्यान देने का है साहब !!!!

उनकी सोच बदलिए !
जो खुले आम माँ बहन की गाली देता है , इसका मतलब वो कभी किसी दूसरी महिला की इज़्ज़त नहीं कर सकता
ये है सोच !!!!
जो कार बेचने के लिए अर्धनग्न लड़की का फोटो लगाकर , बाज़ार तैयार करता है , उसे बदलने की है ज़रूरत !!!
जो लड़की को देह बेचने पर मजबूर करता है
उसे बदलने की है ज़रूरत !!!!
जो अपने ही घर में अपनी पत्नी को मानसिक या शारीरिक प्रताड़ित करता है
, उसे बदलने की है ज़रूरत !!!
हर वो माँ , जो अपनी बेटी और बेटे में दुराव करे ऐसी माँ की सोच बदलने की है ज़रूरत !!!!
कभी गीता होगी , कभी निर्भया , कभी डॉ प्रियंका तो कभी हाथरस !!!!
ये सिलसिला उस घटिया , गंदी , नीच , गिरी हुई मानसिकता वाले पुरुष से शुरू होता है
उस दैत्य को समाप्त कीजिये !
अपनी बेटियों पर अंकुश लगाने के बजाय अपने उच्छ्रंखल , बददिमाग , बदमिजाज , असंस्कृत बेटों को सिखाईये !!!!
है दम कसम खाने का , कि आज से माँ बहन की गाली नहीं देंगे !!!!
शुरुआत तो करिए !!!!!
कहीं से तो समाज बदलने का बीड़ा उठाना पड़ेगा !
अब पुरुषों की बारी है !
जब गुनाह पुरुष ने करा है तो सुधार की पहल भी वहीं से आनी चाहिए !
समय की यही पुकार है !
नए , बदले , सुरक्षित समाज का चेहरा बनिये !
महिलाओं की रक्षा के लिए अब महिला नहीं पुरुष आगे आएं !!!

देखते हैं , कितने आते हैं ????

डॉ दिव्या गुप्ता