कोविड काल

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वीरान हर सड़क है
आरक्षी यहा कड़क है

कोरोना का रोना है
घर पर ही रहना है

जीवन से कर प्रेम है
वरना खाली फ्रेम है

जो देश पे छाया है
वो मौत का साया है

लढने को ठानी है
आपकी बात मानी है

आता है जो वो जाता है
नामी है वो जो दाता है

सनातन की ये वाणी है
पर पीड़ा जिसने जानी है

समय का आर्तनाद है
धरा पर रख अब पाद है

आ पड़ी विपत्ति आपदा है
धैर्य ,साहस मेरी संपदा है

धैर्यशील येवले, इंदौर