ममता का खेला और मोदी-शाह की चूक ..!

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@ राजेश ज्वेल

मैं प्रशांत किशोर तो नहीं हूं , लेकिन अपने लंबे पत्रकारिता के अनुभव और थोड़ी मैदानी समझ से यह बात दावे से कह सकता हूं कि अगर मोदी जी ने मात्र 30 दिन पहले बंगाल चुनाव को छोड़ दिल्ली में मोर्चा संभाल लिया होता और वे यह भावुक अपील जारी करते कि देश कोरोना संक्रमण की चपेट में है और जनता को मेरी जरूरत है लिहाजा मै चुनाव प्रचार नहीं करूंगा..इस अपील को गोदी मीडिया और भक्त बिरादरी तबियत से भुनाती , जिसमें उसे पीएचडी भी है..तो मेरा दावा है कि बंगाल में भाजपा की सीटें आज की तुलना में बढ़ जाती और दूसरी तरफ बंगाल के साथ पूरे देश की सहानुभूति मोदी जी को मिलती..

याद कीजिए अमेरिका के चुनाव में राष्ट्रपति ओबामा जब दूसरी बार खड़े हुए.. तो उनकी स्थिति कमजोर थी , उसी दौरान अमेरिका में तूफान आया तो ओबामा ने अपना प्रचार छोड़कर कंट्रोल रूम संभाल लिया और तूफान की मॉनिटरिंग में जुट गए.. उसका असर यह हुआ कि देश में उनके प्रति सहानुभूति की नई लहर पैदा हुई और ओबामा दूसरी बार राष्ट्रपति बन गए..यह एक कॉमन सेंस की बात है कि जब देश संकट में था उस वक्त मोदी-शाह की जोड़ी चुनावी रैलियों, रोड शो में व्यस्त थी ,जब देश के अधिकांश हिस्सों में मरीजों के परिजन बेड ,ऑक्सीजन , इंजेक्शन के लिए मारे मारे भटक रहे थे उस वक्त देश का प्रधानमंत्री दीदी ओ दीदी के नारे लगा रहा था और उनके क्षेत्र बनारस में सड़कों पर चिताएं जल रही थी ..

आखरी रैली निरस्त करने तक तो हजारों-लाखों बद्दुआएं भी आप के खाते में जुड़ गई … कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव प्रचार कर मोदी जी ने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मारी…और दीदी ने पैर पर प्लास्टर चढ़ा खेला कर दिया…ममता बनर्जी बंगाल ही नहीं पूरे देश की शेरनी के रूप में उभरी आई.. इस एक अकेली महिला ने उस बड़े सत्ता साम्राज्य का सामना किया , जिसके पास अकूत धन के साथ ईडी, आयकर ,सीबीआई सहित सारे राज्यो के मुख्यमंत्री , मंत्रियों के अलावा कार्यकर्ताओ की विशाल फौज थी , दिल्ली चुनाव में केजरीवाल से हार के बाद भी मोदी-शाह ने कोई सबक नहीं सीखा और अहंकार/मुगालता नही छोड़ा..

अगर मोदी- शाह चुनाव प्रचार छोड़ कोरोना प्रबंधन में जुट जाते तो जहां देश में कम कोरोना मौतें होती वहीं दूसरी तरफ बंगाल में सरकार ना भी बनती तो सीटें अवश्य बढ़ती और यह दलील भी मिल जाती कि मोदी-शाह के चुनाव प्रचार से हटने के कारण भाजपा सरकार नही बना पाई …अभी तो बंगाल में धुलाई के साथ देश में कोरोना संक्रमण से ना निपट पाने की गालियां अलग खाना पड़ रही है …यानी सौ जूते भी खाए और सौ प्याज भी ..सत्ता शीर्ष पर बैठे लोगों को पता नही कब सद्बुद्धि आएगी ?