कृपया…पंच लगाने के लिए गला मत दबाइयें

Share on:

– लवीन राव ओव्हाल

स्वच्छता अब हमारी आदत बन चुका है, कृपया पंच लगाने के लिए आम जनता का गला मत दबाइयें। कोरोना संक्रमण में पहले ही कई परिवारों की माली हालत खराब है। ऐसे में शहर की रंगाई-पुताई-सफाई के लिए अतिरिक्त बोझ उठाने के लिए जनता तैयार नहीं है। जितना है उससे ही काम चलाइयें। अभी हर घर में यही हो रहा है। हम चादर के मुताबिक पैर पसारना सीख चुके हैं।

कोरोना ने हमें जरूरत के हिसाब से जीना सिखा दिया है। घर के खर्चों में पहले ही कटौती कर अस्पताल का खर्चा उठा रहे हैं। ऐसे में हर साल 10-15 हजार का अतिरिक्त बोझ उठाने की हिम्मत नहीं बची। हालांकि हमें गर्व है कि हम देश के सबसे स्वच्छ शहर में रहते हैं लेकिन 4 वर्ष पहले भी नंबर वन बनने के लिए हमने इतना टैक्स नहीं चुकाया था। तब और अब में हालात बदल चुके हैं। कई लोगों की नौकरियां जा चुकी है, कई लोगों के व्यापार-धंधे ठप्प पड़े हुए है। बड़ी है तो निगम की गुंडागर्दी और मनमानी।

केंद्र, राज्य के मनमाने टैक्स, पेट्रोल का शतक पहले ही हमारी कमर तोड़ चुका है। ऐसे में फिर से टैक्स की मार हमें मार ही डालेगी। घर चलाने से ज्यादा देश चलाने का कर्ज चुकाना पड़ रहा है। अब इस बार हमें बख्श दीजिए, स्वच्छता के साथ अब शहर के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दीजिए। कोरोना महामारी ने कई परिवारों का कोई अपना उनसे छीन लिया है। घर की खुशियां नहीं लौटा सकते तो कम से कम दु:खों पर भार भी मत बढ़ाइयें। इस बार माफ कर दीजिए।