दुनिया बड़ी बेमुरव्वत है?

Shivani Rathore
Published on:

शशिकांत गुप्ते

शराब को जब ज़हरीले शब्द की उपमा दी जाती है ? तब करेला और नीम चढ़ा यह कहावत चरितार्थ हो जाती है।जो भी हो शराब सरकार के लिए अधिकाधिक राजस्व प्राप्ति का स्रोत है।यह प्रशासनिक व्यवस्था है,तिज़ारत नहीं है।यह भी उतना ही सत्य है कि, राजस्व की आय से सरकारी तिजोरी भरती है। यूँ तो मोहब्बत भी तिज़ारत बन गई। तिज़ारत ने मोहब्बत को भी नहीं छोड़ा। मोहब्बत के साथ शिक्षा,स्वास्थ्य,और कुछ लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि, धर्मिक क्षेत्र भी तिज़ारत से बच नहीं पाया है?निश्चित ही ये लोग अधर्मी होंगे? आमजन की स्थिति फ़िल्म प्यार मोहब्बत( 1966) फ़िल्म के गीत इन पंक्तियों जैसी हो गई है। लगी आग दिल में सुलगते रहे हम ज़ुबां तक न खोली तड़पते रहे हम मगर हमने सीखा है खामोश रहना मुहब्बत है कोई तिज़ारत नहीं है सभी कुछ है तुझमें मगर ये कमी है के आँखों में तेरी मुरव्वत नहीं है।

यह आपके लिए है :आप लिखें, हम उपयोग करेंगे उर्दू शब्द मुरव्वत का हिंदी अनुवाद होता है।सज्जनता,उदारता,अच्छा बर्ताव करना,किसी की गलती पर चुप रहना आदि। उक्त गीत की पक्तियां यथास्थितिवादियों द्वारा मोहब्बत करने वालों के लिए कही गई है। परिवर्तनकारी खमोश नहीं रहतें है।अहिंसक तरीक़े से हरएक अन्याय का विरोध करतें हैं।यह लोग संघर्ष करने वाले लोग होतें हैं।ये लोग अन्याय के साथ कभी भी समझौता नहीं करतें हैं। मसलन महंगाई को बर्दाश्त करने वाले लोग बढ़ते पेट्रोल की कीमत की तुलना सुरती और सुपारी युक्त गुटखे की क़ीमत से करतें हैं।कभी सुवर्ण की कीमत से करतें हैं।

सम्भवतः यह लोग अपने सामान्यज्ञान का उपयोग ही नहीं कर पातें हैं।यदि सामान्यज्ञान का उपयोग करें तो इन लोगों को समझ में आजाएगा कि, ईंधन का काम गुटखे और कनक से नहीं होने वाला है? समजवादी चिंतक विचारक स्वतंत्रता सैनानी डॉ रामनोहर लोहियाजी ने कहा है, *अन्याय वहीँ होता है जहाँ सहने वाला होता है* इसीलिए लोगों में मुरव्वत होनी चाहिए। उक्त कथन लेखक की जिज्ञासा मात्र है। इसे *कहीँ पे निगाहें कहीँ पे निशाना* नहीं समझना चाहिए।यह लेखक का स्पष्टीकरण है।