रविवारीय गपशप ! चाहने वालों की चाहत का आलम

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*लेखक -आनंद शर्मा (IAS) अफसर*

चाहने वाले किसे पसंद नहीं हैं , पर कभी कभी चाहने वालों की दीवानगी भी मुसीबत का कारण बन जाती है | खेल हो , राजनीति हो , साहित्य हो या फ़िल्मी स्क्रीन के सितारे हों ; यानी किसी भी क्षेत्र का बंदा हो यदि वो मशहूर है तो दीवानगी के आलम से बचा नहीं रह सकता | मज़े की बात ये है कि इसे चाहते सब हैं पर इसकी मुसीबत से दो चार होना कोई नहीं चाहता | कुछ साल पहले इस विषय पर शाहरुख़ खान की फिल्म फैन का विषय भी यही था और आज की गपशप भी फ़िल्मी सितारों के चाहने वालों की कुछ याद रह गयी घटनाओं पर है | लोगों को लग सकता है कि दीवानगी का ये कुछ अतिरंजित चित्रण है पर जिन्होंने नज़दीक से फ़िल्मी सितारों और उनके चाहने वालों को देखा है , वे समझ सकते हैं कि सितारों के प्रति दीवानगी का ये आलम भी होता है.

मुझे याद है जब मैं उज्जैन में बतौर एस डी एम पदस्थ था और साथ ही साथ महाकाल मंदिर का प्रशासक भी हुआ करता था तब एक बार मंदिर में भारतीय सिनेमा जगत के महानायक अमिताभ बच्चन दर्शनों के लिए आये हुए थे | अमिताभ आये , दर्शन पूजा की और जब वापस जाने लगे तब तक मुख्य द्वार के आस पास भारी भीड़ भी जमा हो चुकी थी | हम पुलिस सुरक्षा के साथ उन्हें वापस ले जा रहे थे तभी बाईं तरफ भीड़ में से एक लड़की ने अपना दुपट्टा सामने लहराया और बोली अमिताभ इसे छू भर दो , दूसरी ने दुपट्टा हमारे रास्ते में ही फेंक दिया और चिल्ला कर बोली अमिताभ इसपे एक बार पैर रख दो , अमिताभ ने खैर क्या ध्यान दिया होगा पर मैंने सुन कर मन ही मन मज़े लिए कि क्या दीवानगी है |

इसी तरह एक बार की बात है , दोपहर को महेंद्र सिंह सिकरवार , जो तब मेरे साथ सी एस पी थे और अब आइ जी रेल हैं , का फोन आया | वे बोले मंदिर के पास वाले इलाके में रमन त्रिवेदी पुजारी जी के यहाँ सामने बड़ी भीड़ जमा हो गयी है , लोग कह रहे हैं कि अंदर फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी आई हुई है , कुछ पूजा चल रही है , भीड़ बड़ी अनियंत्रित हो रही हैं चलना पड़ेगा , मैंने कहा ठीक है चलते हैं | ममता की हालिया फिल्म “सबसे बड़ा खिलाडी “अक्षय के साथ आई थी तभी आयी थी और उसके प्रति भी दीवानगी का आलम बड़ा जबरदस्त था |

कुछ ही देर में हम दोनों पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए | रमण त्रिवेदी के घर के बाहर ढेर भीड़ थी , जैसे तैसे उन्हें किनारे कर हम पंडित जी के घर में घुसे तो देखते क्या हैं सच में ममता कुलकर्णी और उसके एक मित्र साथ थे | हमने रमण गुरु से रोष जाहिर किया कि भाई ऐसी बातें पहले बताया करो , ममता भी बाहर की भीड़ देख कुछ घबरा सी गयी थी | हमने उन्हें ऐतमाद दिलाया और उन दोनों को जैसे तैसे पुलिस के घेरे में बाहर लेकर कार में बिठाया और अपनी गाड़ी आगे पायलेट में रख के इंदौर की ओर चल पड़े , शनि मंदिर में आकर जब पीछे की भीड़ समाप्त हुई तब मुझे चैन आया | मैंने देखा महेंद्र भाई तो मेरे साथ हैं ही नहीं , इधर उधर देखा तो पाया महेंद्र भाई तो मज़े से पीछे वाली सीट पर ममता से गप्पें कर रहे थे |

इसके बाद चर्चा में पता लगा की ममता जिस प्लेन से आयी थी वो तो दताना-मताना हवाई पट्टी पर खड़ा था | हम उन्हें वापस सुरक्षित छोड़ने जाने लगे तो ममता कुलकर्णी ने हमसे अनुरोध किया कि महाकाल के दर्शन भी करा दें | उज्जैन आकर कोई श्रद्धालु इससे कैसे वंचित रह सकता था तो हमने उसे दताना मताना हवाई पट्टी पर छोड़ने के पहले महाकाल के दर्शन भी करा दिये | हवाई पट्टी पर आकर ममता ने हम लोगों का शुक्रिया अदा किया , तो हमने उस शुक्रिया को तुरंत भुनाया और घर से आपने बच्चों को बुला ममता के साथ एक दो फोटो भी ले डाले जो आज भी हमारे घरेलू एल्बम में सुरक्षित हैं |

दरअसल उन दिनों फ़िल्मी सितारे मंदिर बहुत आया करते थे , शायद कम लोगों को पता हो कि महाकाल मंदिर में गर्भ गृह में ज्योतिर्लिंग के ऊपर जो रुद्रयंत्र लगा है उसके निर्माण में पचास हज़ार रुपयों की चांदी का दान फिल्म अभिनेता गोविन्दा ने भी दिया है | ये घटना तभी की है , गोविंदा महाकाल मंदिर में आ रहे थे , मुझे रमण त्रिवेदी पंडित ने बताया कि वे उनके जजमान हैं और यदि आप चाहो तो निर्मित हो रहे रुद्रयंत्र के लिए उनसे भी रजत हेतु सहयोग लिया जा सकता है , मैंने कहा ठीक है | किसी भी सेलेब्रिटी के दान देने से अन्य लोग भी वैसा करने प्रवर्त होते ही हैं तो ये मंदिर के अन्य दानदाताओं के लिए प्रेरणा बनती | तय ये हुआ कि पहले उन्हें दर्शन कराएँगे फिर कार्यालय में लाकर दान आदि की बात कर लेंगे | उनदिनों मंदिर कार्यालय भूतल पर ही लगा करता था |

मैंने अपने घर में श्रीमती जी को ये बात बताई कि फलां तारीख को गोविंदा आने वाला है तो ये झट बोलीं कि हम भी देखने जायेंगे | श्रीमती जी गोविंदा की बड़ी फैन थीं | नियत दिनांक को ये और मंजू भाभी ( महेंद्र सिंह सिकरवार साहब की धर्मपत्नी ) मंदिर में आ गईं , मैंने इन्हे कहा कि आप लोग कार्यालय में ही रुको पहले गोविंदा को दर्शन कराएँगे और जब कार्यालय आएंगे तब आप लोग भी गोविन्दा को देख लेना | ये लोग बोले ठीक है , हम इन्हे ऑफिस में छोड़ मुख्यद्वार पर आ गए | गोविंदा उन दिनों सुपर हिट हीरो थे , सो लोगों का भारी हुजूम उनके दर्शनों के लिए बेताब था | जैसे तैसे सम्हालते हुए उन्हें हम मंदिर के गर्भगृह तक ले गए , पूजा प्रारम्भ हुई तो मैं गर्भगृह से बाहर आ गया |

अचानक मुझे ध्यान आया कि इसके बाद गोविंदा को ऑफिस लाना है तो वहां की व्यवस्था भी देख लूँ सो मैं ऑफिस पहुँचा , देखा व्यवस्था तो सब ठीक थीं पर परिवार के लोग गायब थे | मैंने अपने कर्मचारियों से पूछा कि ये लोग कहाँ गए तो मैनेजर साहब बोले कि मेडम लोग तो नीचे मंदिर के अंदर पहुँच गयी हैं | मुझे चिंता हुई , मैं वापस झट नीचे पहुंचा तो क्या देखता हूँ कि गोविंदा गर्भगृह से पूजा कर नंदी हाल में आ चुके थे और ये लोग बढ़िया गोविंदा के साथ खड़े होकर फोटो सेशन करा रहे थे , मैंने सोचा भाई क्या दीवानगी है | बहरहाल उसके बाद हम गोविंदा को बकायदा ऑफिस ले कर आये और उसने वहीँ पचास हज़ार रुपयों कि दान की रसीद रजत भेंट के नाम पर कटाई |