बंगाल में चली ममता की फुटबॉल, बीजेपी बेहाल!

Shivani Rathore
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– हरीश फतेहचन्दानी

सच कहता हूँ…

ये बात उस वक्त की है जब देश की सियासत बदल देने का दम्भ भरने वाली सियासी जोड़ी ने बंगाल में खेला होबे में अपना खेला खेलने की ठानी थी और पश्चिम बंगाल की जनता की ममता को ललकारा था। घड़ी बदलती गई और ममता पर जनता की क्षमता मापने के लिए दोनों जोड़ीदार बंगाल में भाजपा को सत्ता का लाल बनाने के लिए निकल पड़े। जोड़ीदार नम्बर 1 ने रणनीति बनाई और टिकट बांटने से लेकर ममता दीदी के दरबारियों को खरीदने तक का खेल खेला।

वक्त आगे बढ़ता गया चुनावी खेल बढ़ता गया ताज्जुब तो तब हुआ जब जनता की ममता ने दीदी की फुटबॉल को सौगात समझकर स्वीकार कर लिया। इतना होने पर भी दोनों जोड़ीदार माने नहीं और कोरोना के कहर आहट के बावजूद खेला बिगाड़ने के लिए परिबर्तन होबे… परिबर्तन होबे… ललकारते रहे। तमाम जोड़ीदारों के नुस्खों को जनता की ममता के आगे चुनाव करीब आते आते घुटने टेकने पड़े।

अब जब नतीजे जनता की ममता को बंगाल की दीदी बता रहे हैं तो दोनों जोड़ीदार कोरोना काल मे मिली करारी हार पर मौन हैं। यानी खेला बिगाड़ने चले थे और अब खुद जोड़ीदार गोल होने के बाद खेला समझने में जुट गए हैं। इधर, देश ऑक्सीजन से लेकर वैक्सीन तक के लिए जूझ रहा है और दोनों जोड़ीदारों के चेहरे देख रहा है। खैर ये चुनाव है जब जनता अपनी वाली पर आती है तो सियासी नाटकों से दूर हार का स्वाद भी धीरे से चखाती है। इसलिए अब जोड़ीदार जी संभल जाइये और देश बचाइए क्योंकि बंगाल में तो दीदी मैजिक चल गया लेकिन कहीं देश फिसल गया तो जोड़ीदार हाथ मलते रह जाएंगे और कोरोना काल में जलनी वाली चिताओं की आग कहीं सियासी हाथ ही ना झुलसा दे… आगे अभी और खेला होबे बाकी है!!