धैर्यशील येवले, इंदौर
शहर कुछ मेरे दिल सा हो गया
सुना सुना बियाबान सा हो गया
दरक रहे है रिश्ते यहाँ पर
हर शख्स परेशान सा हो गया
दर्द दिल का हद से बढ़ गया है
हर आँख में खू सा चढ़ गया है
मज़लूमियत की इंतहा समझे
जीते जी वो सूली चढ़ गया है
निगाहे उठती है बार बार ऊपर
क्या देख रहा है बार बार ऊपर
जब देखना था तब न देखा ऊपर
मंडरा रही मौत बार बार ऊपर
खुदगर्जी ने हदें तोड़ दी थी
इंसानियत की राहें मोड़ दी थी
बहने दे खुदगर्जी कतरा कतरा
तूने इंसानियत जो छोड़ दी थी
रख यकीन नूर फिर बरसेगा
शैतान तीरगी को फिर तरसेगा
हर दिल रौशनी से भर जाएगा
रहमत का पानी फिर बरसेगा