अहम ब्रम्हास्मि

Share on:

जोड़ नाता मानवता से
ईश्वर मिलेगा सरलता से ।।

जो ढूंढ रहा है तू बाहर
वो बैठा है तेरे ही भीतर
खोल कपाट अंतस के
कर दर्शन परमात्मा के
जीवन के खेल निराले
कुछ उजले कुछ काले
कह रहे कोमलता से

जोड़ नाता मानवता से
ईश्वर मिलेगा सरलता से ।।

राम नाम की शरण में
मोक्ष छुपा है मरण में
जीवन को स्वर्ग बनाकर
दूजे का बन दिवाकर
नित नये आनंद पायेगा
जगत चैतन्य हो जायेगा
मिला दे कर्म धर्मता से

जोड़ नाता मानवता से
ईश्वर मिलेगा सरलता से ।।

जीवन की यही आस है
प्रभुमिलन की प्यास है
भीतर मेरे जो घट रहा
लोगो मे है वो बट रहा
आलोकित है मन मेरा
दूर कर दूंगा तमस तेरा
नाता न रहा दुर्बलता से

जोड़ नाता मानवता से
ईश्वर मिलेगा सरलता से ।।

सरिता के जल सा
वसुधा के तल सा
नभ के परिमल सा
दीप के अनल सा
पवन के निर्मल सा
हो गया मैं ब्रह्मांड सा
पंच तत्व की पावनता से

जोड़ नाता मानवता से
ईश्वर मिलेगा सरलता से ।।

    धैर्यशील येवले, इंदौर