अलग अलग ऑफिस

Shivani Rathore
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dheryashil

आलेख : धैर्यशील येवले

आज मैं और मेरे भगवान सुबह की सैर को निकले , सड़के सुनसान थी इक्कादुक्का राहगीर दिखाई दे जाता। हम दोनों सुबह की ताजी हवा का मज़ा लेते धीरे धीरे चल रहे थे। चौराहे पर अचानक एक राहगीर को लॉरी टक्कर मारते निकल गई ,राहगीर को काफी चोंटे आई थी , भगवान मुझसे बोले इस घायल व्यक्ति को शीघ्र अस्पताल भेजना होगा। मैने घायल का पहनावा और हुलिया देख भगवान से बोला ये तो दूसरे भगवान का आदमी है, अपन क्यो अस्पताल भेजे ,और सवाल करने को था कि भगवान ने मुझे डांट ते हुए कहा चुप कर बाद में कहना, वो ऑटो ला जो किनारे खड़ा है ,मैं ऑटो ले आया और घायल को सहारा दे कर उसमें बैठा दिया ऑटो चालक को अच्छे से समझाया ऑटो का किराया दे उसे इलाजके लिए अस्पताल रवाना किया।

जैसे मैने भगवान की और देखा ,भगवान थोड़ा गुस्से में बोले ,बोल क्या बकवास कर रहा था। हम दोनों रोड साइड वाली सीमेंट की बेंच पर बैठ गए जब वो दूसरे भगवान का व्यक्ति था आपने क्यो अस्पताल भिजवाया मैंने सवाल दागा।
अरे मूर्ख ये क्या लगा रखा है तूने ये भगवान वो भगवान मैं तो एक ही हूँ ,मुझे क्यो बाँट रहा है ,अनेक में। मैं भगवान की डांट सुन कर रुआंसा हो गया भगवान को घूरते हुए कहा आपने अपने अलग अलग ऑफिस में जो पी आर ओ बैठा रखे है वे ही तो बताते है आप एक नही अलग अलग है।

आपके अलग अलग ऑफिस में अलग अलग तरीके से आपकी पूजा होती है ,सभी पी आर ओ कहते है उनका भगवान बड़ा है ,अलग अलग ऑफिस वाले झगड़ते भी है कभी कभी उनका झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि लोग आपस मे मार काट कर देते है , और तो और आपके ऑफिस वालो ने तो रंग भी बाट रखे है । लाल,हरा ,नीला ,सफेद और तो और एक ऑफिस वाला दूसरे ऑफिस वाले को अपने ऑफिस में नही आने देता ,गलती से चले जाओ तो भगा देते है ये कह कर की ये तेरे भगवान का ऑफिस नही है।

तुम्हारे जितने अलग अलग ऑफिस है न उनके सभी अधिकारी कर्मचारी अलग अलग यूनिफार्म पहनते है ,हेयर कट रखते है। और ये अधिकारी कर्मचारी उन्ही लोगो को ऑफिस में प्रवेश देते है जो ये कहते है कि मै तुम्हारे वाला हूँ और तुम्हारे भगवान को ही मानता हूँ। एक ऑफिस वाला दूसरे ऑफिस वाले को हिकारत की नज़र से देखता है। सभी ऑफिस वाले कहते है जो व्यक्ति हमारे ऑफिस के भगवान को मानेगा वो व्यक्ति स्वर्ग में जायेगा नही मानेगा तो नरक में जायेगा। अपने अपने भगवान के नाम पर लोग लड़ते है ,लाठी डंडा तलवारे छोड़ो मिसाइल निकाल लेते है ,तबाह कर देते है एक दूसरे को। लोगो के मरने पर कोई दफनाते है कोई जलाते है कोई कुछ करता कोई कुछ ,न जीते जी चैन लेने देते न मरने के बाद , ये हाल है आपके ऑफिस वालो के ,और तुम कहते हो मैं एक ही हूँ , मैंने अपने मन की सारी भड़ास भगवान पर निकाल दी।

भगवान मेरी बात ध्यान से सुन रहा था। मुझे लगा अब मैंने भगवान को लपेटे में ले लिया है अब ये निरुत्तर हो गया है ।
भगवान बोले चल पहले चाय पीते है उस गुमटी पर फिर बात करेंगे , मैं मन ही मन विजयी महसूस कर सोच रहा था की भगवान मुझे चाय पिला कर टरकाने वाले है। हम दोनों चाय की गुमटी पर गए सुबह का वक़्त होने से हवा में ठंडक थी चाय पीने वालों की भीड़ थी। भगवान ने दो चाय का ऑर्डर दिया और हमदोनो साइड में खड़े हो कर चाय का इंतज़ार करने लगे , भगवान मुझ से बोले चाय गुमटी पर भीड़ देख रहे हो भीड़ के लोग एक ऑफिस के है या अलग अलग ऑफिस के ,मैंने देख कर उत्तर दिया सभी ऑफिस के है लोग है।

थोड़ा कुटिल मुस्कुराते भगवान बोले वो सामने अस्पताल देख वहाँ भी सभी ऑफिस के लोग दिख रहे है न , मैंने कहा हा दिख रहे है फिर भगवान ने मुझे स्कूल जाते बच्चे दिखाए बोले वो बच्चे एक ऑफिस के है या सभी ऑफिस के मैंने देखते ही कहा सभी ऑफिस के है। उन बच्चों में कोई अलग अलग दिख रहा तुझे भगवान ने मुझ से पूछा , मैंने कहा सभी एक दिख रहे है । भगवान ने एक लंबी सांस ली और बोले तेरे जैसे मूर्खो के कारण इस दुनिया में मेरे अलग अलग ऑफिस खुले पड़े है और मुझे टुकड़ो टुकड़ो में तुम मूर्खो ने बांट दिया है।

मैं एक ही हूँ मेरे पास कोई दिल्ली से आ रहा कोई चेन्नई से कोई आगरतला से तो कोई अहमदाबाद से बस मेरे पास आने के रास्ते अनेक है। मेरा विजय भाव काफूर हो गया भगवान ने मुझे पटकनी दे दी। जोर से आवाज़ आई चाय लो मैं नींद से जाग कर पत्नी को देखने लगा वो चाय लिए खड़ी थी। मैंने भगवान को याद कर हाथ जोड़ कहा तू ही सबका पालनहार तू अनेक नही एक है हमारे दाता।