गठिया रोग एक ऑटोइम्यून डिजीज है अक्सर लोग इसे ऑर्थो डिपार्टमेंट से कंफ्यूज करते हैं, इसके कारणों में इन्वायरमेंट, लाइफस्टाइल और जेनेटिक मुख्य रोल प्ले करते हैं, डॉ.पारुल बाल्दी चोइथराम हॉस्पिटल

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इंदौर. हमने कॉविड का दौर भी देखा है साथ ही वर्तमान समय में हमारी लाइफ स्टाइल बहुत सिडेंट्री हो गई है वही हमारे खानपान में प्रोसेस्ड फूड ने जगह बना ली है इन सब चीजों के चलते ऑटोइम्यून डिजीज को बढ़ावा मिलता है, जिसमे रूमेटाइड अर्थराइटिस, स्पॉन्डिलाइटिस अर्थराइटिस, लूपस और अन्य गठिया से संबंधित बीमारियां देखने को सामने आती है। वही वह इनमें से कई समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। इम्यून सिस्टम से संबंधित बीमारियों की अगर बात की जाए तो यह मुख्य जेनेटिक, एनवायरमेंटल और लाइफस्टाइल ऑटोइम्यून डिजीज को बढ़ावा देती है। अगर बात एनवायरमेंटल की बात की जाए तो इसमें वायरल इन्फेक्शन वही लाइफस्टाइल में आजकल फास्ट फूड का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इसी के साथ व्यायाम कम हो गया है जिस वजह से मोटापा बढ़ता है और यह इम्यून सिस्टम पर इंपैक्ट डालता है। इसी के साथ कई लोगों में इम्यून सिस्टम से संबंधित बीमारियां जैनेटिक रूप से भी सामने आती है। बढ़ती टेक्नोलॉजी के चलते इन बीमारियों को पकड़ना अब आसान हो गया है इस वजह से केस भी ज्यादा देखने को मिलते हैं।यह बात डॉक्टर पारुल बाल्दी ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही। वह शहर के प्रतिष्ठित चोइथराम हॉस्पिटल में रुमेटोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है।

सवाल. रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है, वहीं यह शरीर के अन्य अंगों को कैसे प्रभावित करता हैं

जवाब. गठिया का सबसे कॉमन रूप रूमेटाइड अर्थराइटिस हैं इसके केस पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा पाए जाते है। इसके लक्षणों की अगर बात की जाए तो ज्वाइंट पेन, सूजन जैसी समस्या सामने आती है वही यह समस्या सुबह के समय ज्यादा देखने को मिलती है। जिसमें ज्वाइंट और उंगलियां मोड़ने में समस्या आती है। इसमें आम तौर पर लोग पेन किलर का इस्तेमाल कर इस बीमारी को नजरअंदाज करते रहते हैं। सही समय पर ट्रीटमेंट नहीं होने स कई बार ज्वाइंट में टेढ़ापन आ जाता है वही यह शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है जिसमें लंग्स, स्किन और हार्ट संबंधित समस्या के रिस्क बढ़ जाते हैं। यह समस्या हमारे शरीर में धीरे-धीरे पनपती रहती है। साफ तौर पर इसके लक्षण दिखाई देने में 5 से 10 साल तक का समय लगता है। इसे नजरअंदाज करने के बजाय सही समय पर डॉक्टर को दिखाने से 1 से 2 साल में इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

सवाल. क्या लुपस भी घटिया का एक प्रकार है, यह समस्या होने पर किस प्रकार के लक्षण सामने आते हैं

जवाब. इम्यून सिस्टम से संबंधित और गठिया के प्रकार लुपस की समस्या भी कॉमन रूप से लोगों में देखी जा रही है।
इसके लक्षण की अगर बात की जाए तो शरीर का वजन कम होना, रेशेस, फीवर, मुंह में छाले, मसल वीकनेस, बालों का झड़ना और अन्य प्रकार की समस्या देखी जाती है। कई बार यह हमारी आंतो, किडनी और अन्य ऑर्गन को इन्वॉल्व करती है जिससे अन्य समस्याएं भी सामने आती है। यह 20 से 40 साल की उम्र के बीच में ज्यादा पाई जाती है। इसका सही समय पर ट्रीटमेंट लेना जरूरी होता है। यह भी इम्यून सिस्टम की अन्य बीमारियों की तरह धीरे-धीरे सामने आती है।

सवाल. स्पॉन्डिलाइटिस अर्थराइटिस क्या है यह किस प्रकार कमर से संबंधित समस्या को बढ़ावा देती है

जवाब. रीड की हड्डी से संबंधित गठिया रोग जिसे स्पॉन्डिलाइटिस अर्थराइटिस कहा जाता है। यह आमतौर पर 40 साल से कम उम्र में देखने को सामने आती है वही यह महिला और पुरुषों में समान रूप से पाई जाती है। इसमें स्ट्रांग जेनेटिक रिस्क फैक्टर होता है साथ ही हमारे बदलती जीवनशैली और खान-पान भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। इसी के साथ स्मोकिंग इसमें एक मेजर रोलप्ले करता है। इसमें हमारी हड्डियों के भाग जुड़ जाते हैं और सुबह की जकड़न हो सकती है और लंबी अवधि की बीमारी में कमर की हड्डी का लचीलापन कम हो सकता है और कमर में झुकने और अन्य संबंधित समस्या देखने को सामने आती है।

सवाल. इम्यून सिस्टम से संबंधित बीमारियों से बचने के लिए क्या प्रिकॉशन लेना चाहिए

जवाब. इम्यून सिस्टम से संबंधित समस्याओं से बचने के लिए हमें हमारी जीवन शैली और हमारे खानपान में भी बदलाव करना होगा। वहीं हमें अपनी डाइट में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा को बढ़ाना होगा साथ ही मैदा शुगर प्रोसैस्ड फूड और अन्य चीजों को कम मात्रा में या इनसे परहेज करना होगा।

सवाल. रुमेटोलॉजी ब्रांच के तहत कौन सी बीमारियों को डील किया जाता है

जवाब. रुमेटोलॉजी एक ऐसी ब्रांच है जिसमें हम ऑटोइम्यून डिजीज से संबंधित समस्या को लेकर डील करते हैं। इसे आम भाषा में घटिया रोग पद्धति कहा जाता है।अर्थराइटिस एक इम्यून सिस्टम की बीमारी है इसे रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट के तहत डील किया जाता है अक्सर लोग इसे ऑर्थो डिपार्टमेंट्स से कन्फ्यूज करते हैं जो कि सही नहीं है।

सवाल.आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई गवर्नमेंट कॉलेज नागपुर से पूरी की वही एमडी की पढ़ाई केलकाता गवर्नमेंट कॉलेज से पुरी की है। इसी के साथ मैंने रुमेटोलॉजी में सीनियर रेसिडेंसी पीजीआई चंडीगढ़ से किया है। अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने यूके के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी हैं। वहीं वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित चोइथराम हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रही हूं।