इंदौर: कोरोना मरीज को लाखों का बिल थमाने के बाद इंदौर का प्प्ले हॉस्पिटल सुर्ख़ियों में बना हुआ है। जब जिला प्रशासन ने अस्पताल पर कार्रवाई की तो कई तरह की अनियमितताएं मिली, जिसके बाद अस्पताल को नोटिस भी दिया गया है। इसके अलावा हॉस्पिटल से जुडी कई बातें सामने आई है।
लौटाने पड़े पैसे
6 लाख रुपए का जो बिल कोरोना मरीज को थमाया गया था उसमें से लगभग 2 लाख रुपए की राशि अधिक वसूल किए जाने की शिकायत मरीज की बेटी ने कलेक्टर से की थी। दरअसल 22 दिन तक उक्त मरीज का इलाज चला। 1 अगस्त को मरीज कोरोना पॉजिटिव हुए थे। उसके बाद उनके निजी डॉक्टरों की सलाह पर एप्पल में भर्ती किया गया था। शिकायत में पहले यह आरोप लगाया गया कि पीपीई किट दवाइयों, यूनिवर्सल प्रोटेक्शन, डॉक्टरों की विजिट और सिटी स्कैन सरीके कुछ टेस्टों की राशि बोगस तरीके से हासिल की गई। कलेक्टर मनीष सिंह ने जांच प्रतिवेदन तैयार करवाकर अस्पताल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
प्रशासन के दबाव के बाद अस्पताल ने 1 लाख 56 हजार रुपए की राशि जो अधिक वसूली थी, वह मरीज के परिजाओं को लौटा दी है। इसके बाद मरीज की बेटी ने अपनी शिकायत वापस भी ले ली। उसने पत्र लिखकर कहा कि बिल के संबंध में हमें कुछ शिकायतें थीं, जिन्हें अस्पताल प्रबंधन ने दूर कर दिया है। लिहाजा अब प्रबंधन और इलाज करने वाले चिकित्सकों से कोई शिकायत नहीं है।
शेयर होल्डर में डब्बा व्यापारी भी शामिल
एप्पल हॉस्पिटल में 35 शेयर होल्डर है, जिनमें शहर केजाने-माने चिकित्सकों के साथ एक डब्बा व्यापारी भी शामिल है। इस डब्बा व्यापारी ने अपने पिता और दो भाइयों के नाम पर लगभग 8 से 9 प्रतिशत के शेयर हासिल कर लिए है और पिछले कुछ दिनों से पूरे हिस्पितल को मनमाने तरीके से संचालित कर था।
ये डब्बा व्यापारी फर्जी एक्सचेंज घोटाले के चलते डेढ़ साल जेल में भी रहकर आया और बाद में जमानत पर छूटा। हॉस्पिटल के संबंध में जो शिकायत सामने आ रही है उसके पीछे भी इसी की करतूत बताई जा रही है, जिसने अपने लोगों को यहां भर्ती किया और खुद भी 3 से 4 लाख रुपए की राशि सैलेरी के रूप में हासिल करता रहा।
दरअसल, अभी जिला प्रशासन ने जिन 27 निजी हॉस्पिटल को कोरोना इलाज की अनुमति दी उनमें एप्पल हॉस्पिटल भी शामिल है। शहर में बढ़ रही कोरोना मरीजों की संख्या के चलते करीब 37 मरीजों का इलाज यहां चल रहा है और उसी का नतीजा है कि यहां लूटपाट शुरू हो गई।
जब ऐसी ख़बरें सामने आई तो कलेक्टर मनीष सिंह ने तीन दिन पहले जूनी इंदौर एसडीएम और स्वास्थ्य विभाग से डॉ. अमित मालाकार को भेजकर बिल और रिकॉर्ड जब्त करवाए और उसके बाद फिर हॉस्पिटल को लेकर बवाल मचा, क्योंकि इन दिनों कई अन्य हॉस्पिटलों की भी इसी तरह शिकायतें मिल रही है।