कम दाम मिलने पर नाराज किसान, लक्ष्मीबाई मंडी में हुआ किसान व्यापारी के बीच जमकर हंगामा, एमआर-5 पर ट्रैक्टर लगाकर किया चक्काजाम

Suruchi
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इंदौर। प्राक्रतिक आपदा से निपटने के बाद किसान अब अपनी फसल के भाव को लेकर चिंतित है, फसल का कम दाम मिलने पर प्रदेश में कई जगह मंडियों में किसान और व्यापारियों के बीच नोंक झोंक होती नजर आ रही है ऐसा ही कुछ नजारा लक्ष्मीबाई मंडी सामने आया। आसपास के गांवों से गेहूं बेचने आए किसान उस वक्त भड़क गए, जब व्यापारियों ने समर्थन मूल्य से कीमत बहुत कम लगाई। इस बात से नाराज किसानों ने एमआर-5 पर ट्रैक्टर लगाकर चक्काजाम कर दिया। इधर, व्यापारियों का कहना है कि गेहू में नमी और कचरा है। जिसकी जितनी कीमत होगी उतने में खरीदी होगी।

हाल ही में गेहूं में नमी आने की वजह से सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीदी को रोक दिया गया। 31 मार्च के बाद खरीदी फिर से शुरू होगी, लेकिन कई किसान को कर्ज और अन्य कारण के चलते पैसे की आवश्यकता है। इसके चलते अपना माल लेकर आज लक्ष्मीबाई मंडी पहुंचे। यहां व्यापारियों को माल बेचने के लिए दिखाया गया। व्यापारियों ने 1600 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल कीमत लगाई, जबकि समर्थन मूल्य 2150 रुपए है। उससे भी कम कीमत मिलने पर किसान भड़क गए।

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नाराज किसानों ने एमआर-5 पर ट्रैक्टर लगाकर चक्काजाम कर दिया। कहना है कि व्यापारी हमारे अनाज को औने-पौने दाम पर खरीदना चाहते हैं। इधर, व्यापारियों का कहना है कि गेहूं में नमी है, जिसके कारण बाद में वजन में अंतर आएगा। कई गाडिय़ों में कचरा भी बहुत है, इसकी सफाई भी करवानी पड़ेगी गाड़ी की जैसी कीमत है हम वह लगा रहे हैं। हम किसान से जबरदस्ती नहीं कर रहे है। अब किसान की मर्जी है कि उसे बेचना है या नहीं? हम कोई जबर्दस्ती नहीं कर रहे हैं । ये भी नहीं होगा कि हम खरीदकर घाटा उठाएं। ऐसा नहीं कि सभी की कीमत एक जैसी है। अच्छे अनाज की कीमत ज्यादा भी लगाई जा रही है। इधर, किसान आरोप लगा रहे हैं कि व्यापारी मजबूरी का फायदा उठाकर मुनाफाखोरी कर रहे।

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भारतीय किसान यूनियन के नेता बबलू जाधव के का कहना है कि शासन उन किसानों की स्थिति को देखते हुए बैंकों में पैसे जमा कराने की तिथि 30 मई तक बढ़ाएं इस वजह से उन्हें राहत मिल जाए। अभी तक इस संबंध में शासन की ओर से कोई आदेश नहीं आया। इधर, मंडी में फसल की वाजिब कीमत भी मिलने लग जाएगी। उन्होंने कहा कि एक समय था जब किसानों को सहकारी बैंक से 18 से 24 प्रतिशत ब्याज से पैसे मिलते थे। जिसे वह फसल के बाद चुकाता था। वर्षों से ये क्रम जारी था, लेकिन किसानों की हालत खस्ता देखकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जीरो प्रतिशत ब्याज पर पैसे देने का फैसला किया ताकि किसान भय मुक्ति होकर खेती करे। सरकार के इस बिना ब्याज के पैसे मिलने के बाद किसानों को बड़ी राहत मिली जिस वजह से उन्हें साहूकार से पैसे लेने की अब जरूरत नही होती है।