इंदौर के Anagh Chittoda ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाया रिकार्ड, 9 अंक वाले 100 अंकों का बड़े और छोटे का बताया अंतर

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 9 अंक वाले 100 अंकों का बड़े और छोटे का अंतर बताने वाले अनघ चित्तौड़ा मात्र 3 वर्ष 11 माह की उम्र में खिताब हासिल करने वाले इंदौर शहर के छात्र हैं। ज्ञातव्य है कि यह संस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करती है। विशेषकर यह बच्चों की उपलब्धियों का रिकॉर्ड बनाती है। इस संस्था में अपना नाम दर्ज कराने के लिए बच्चों को अलग हटकर कुछ कार्य करना होता है। वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए बच्चों को जो आज तक नहीं हुआ वह कार्य करना होता है जैसे कुछ छात्रों ने 15 अंक तक के नंबर कम उम्र में पढ़कर रिकॉर्ड बनाया है कुछ ने कम उम्र में अलग-अलग देशों के नोट बताने का रिकॉर्ड बनाया है।

उसी तरह अनघ चित्तौड़ा ने करोड़ तक के नंबर को पढ़कर उसमें बड़े और छोटे का अंतर बताया। यह इंदौर शहर के लिए गौरव की बात है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनघ चित्तौड़ा रिकार्ड बनाकर इंदौर शहर का नाम रोशन कर रहे हैं। इसके लिए पहले नामांकन करवाना होता है नामांकन के पश्चात उनकी संस्था यह तय करती है कि इस तरह का कोई रिकॉर्ड अभी तक बना है या नहीं। जब यह तय हो जाता है कि यह रिकॉर्ड नहीं बना है तो वह लिंक भेज कर अपने विशेषज्ञों की टीम के मार्गदर्शन में बच्चों के उपलब्धि का वीडियो मंगवाते हैं। पहले यह वीडियो दिल्ली में देखा जाता है उसके बाद उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंदन भेजा जाता है।

वहां के विशेषज्ञ इस वीडियो को देखकर तय करते हैं कि बच्चों ने दूसरों के मार्गदर्शन में तो काम नहीं किया है। उसके बाद उनकी टीम अपने विशेषज्ञ को भेजकर फिर से बच्चों से वीडियो मंगवाती है। सब तरह से वेरीफाई होने पर बच्चों की उम्र के लिए दस्तावेज मंगवाए जाते हैं। बच्चों के दस्तावेज पर सही उम्र का ज्ञान होने के बाद विशेषज्ञों की टीम बच्चों की उपलब्धि के लिए सहमति प्रदान करती हैं। बच्चों के सभी एंगल से वीडियो बनाया जाते हैं ताकि उनकी विशेषज्ञ की टीम भी यह तय कर सके कि उन्हें किसी ने सहायता नहीं की है। इस तरह से बच्चा जब नामांकित हो जाता है तब वे उसकी उपलब्धि के लिए मेडल सर्टिफिकेट आदि देते हैं।

यह इंदौर शहर के लिए गौरव की बात है कि विश्व स्तर पर अनघ चित्तौड़ा ने उपलब्धि हासिल कर हमारे शहर को गौरवान्वित किया है।
अनघ चित्तौड़ा की मम्मी ने शैशव अवस्था में से ही बच्चे के लिए परिश्रम करना आरंभ कर दिया था। जहां अनघ चित्तौड़ा को अंको का बड़े और छोटे का ज्ञान है, वही वह रामचरितमानस की चौपाइयों और संस्कृत के श्लोकों का वाचन करता है। अनघ चित्तौड़ा के पास बहुत सारे विधाएं हैं। उसे मसालों और खाने के सामान के नाम की पहचान के साथ-साथ उसका स्वाद भी पता है। उसकी इस उपलब्धि पर परिवार के सभी जन बहुत प्रसन्न है।