अनिलकुमार धडवईवाले
तीन माह के लंबे लॉक डॉऊन के बाद फिर से कोरोना का कहर तेजी से बढ़ रहा है। इंदौरशहर में कोरोना संक्रमण पर लगाम नही लग पा रही है। इसी में एक तरफ कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हो रहा है कोरोना के शिकार बनने के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो चुके लोगो के प्रति उनके रिश्तेदारों आत्मीयजनों-पड़ोसियों द्वारा किया जा रहा है नफरतभरा उपेक्षापूर्ण बर्ताव।
बेहद अफसोसजनक तथ्य है कि ये व्यवहार उच्चशिक्षित- संस्कारित लोगो की बस्तियों- कॉलोनियों में भी देखा जा रहा है। इसमें अस्पताल से ठीक होकर अपने स्वामित्व के घर लौटे लोगों को भी विशेष दुराव /भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।आसपास के बरसो तक साथ रहे लोग भी ऐसा बर्ताव करते है मानों इन लोगों की वजह से कोरोना संक्रमण पूरे इलाके में फैल जाएगा।
पिछले दिनों ही समर्थ सिटिवन कॉलोनी के मेरे परिचित एक परिवार के एक सदस्य की मौत के बाद मिली जांच कोरोना पोझिटिव आयी थी।उसके बाद परिवार के चार सदस्यों को अरविंदो हॉस्पिटल में रखा गया था। कुछ दिनों बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर वे अपनी मालकी के घर लौटे। तब उन्हें वहांके रहवासियों के भेदभाव दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। आखिर बात पुलिस तक पहुंच गयी। लेकिन चूंकि निगेटिव रिपोर्ट देखने के बाद लौट गयी थी। फिर भी इस परिवार को सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ रहा है।
इसी तरह साईंधाम कॉलोनी के निवासी करणसिंह की रिपोर्ट पोझिटिव आनेपर के बाद परिवार के अन्य तीन सदस्य भी जाँच में पॉजिटिव पाये गये थे। इस पर चारो को एमआरटीबी हॉस्पिटल भर्ती कराया गया था।पंद्रह दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर वे भी अपने स्वामित्व के घर आये थे। घर खुद का होने से कोई उन्हें भगा नही सकता था। लेकिन पड़ौसियों स्नेहीजनों ने व्यवहार ही पूरी तरह बदल दिया।लोग दूर दूर रहने लगे। यहां तक कि किसी ने उनकी हालचाल तक नही पूछी। इस मानसिक प्रताड़ना से त्रस्त होकर पूरा परिवार राजस्थान चला गया।
इसी विपरीत माहौल में हाल ही इंदौर की सुपरिचित आदर्श कॉलोनी लोकमान्य नगर में घटित घटना से मुझे बहुत सुकून मिला। मराठी भाषियों की पचास साल पुरानी इस 800 मकानों की कॉलोनी के एक 43 वर्षीय कर्मठ-निस्वार्थी- हरदिल अजीज कार्यकर्ता है “राकेश वारकर”। इस गजब की हिम्मतवाले निर्भीक कार्यकर्ता को कुछ दिन पूर्व कोरोना ने जकड़ लिया था। तब वह सीधे अरविंदो हॉस्पिटल भर्ती हो गया था।उसके बाद उसके परिवार के चार सदस्यों की रिपोर्ट भी पोझिटिव आनेपर उन्हें भी वहीं भर्ती किया गया था।
राकेश के कथनानुसार जैसे ही यह मनहूस खबर कॉलोनी में पसरी। तब चंद मिनटों में पचासों कार्यकर्ता-महिला पुरुष बेहिचक मेरे घर के बाहर मदद के संदर्भ में इकट्ठे हो चुके थे। उन्होंने मेरी व परिवारजनों की हिम्मत बंधाई। इतना ही नही सारी सुविधाएं-आवश्यक सामग्री जुटाई। जिसे मेरे परिवार के लोग ता जिंदगी भूल नही सकेंगे। उसके बाद जब मैं और परिवार के अन्य सदस्य ठीक होकर घर पहुंचते उसके पहले ही अनेक कार्यकर्ता रहिवासी घर के आसपास बड़ी बेसब्री से हमारा इंतजार कर रहे थे। हमारे पहूंचते ही सभी बहुत आनंदीत हो गये थे। लेकिन उस दौरान उत्साह में एक लम्हे के लिये भी डिस्टेसिंग व माक्स लगाना कोई भी भुला नही था। ढोल-धमाके बजे। तालियां बजी। पुष्पगुच्छ- पुष्पहारों से मुझे लाद दिया गया था। मिठाई बांटी गयी। विशेष उल्लेखनीय बात तो यह कि कई दिनों तक पड़ौसियों- आसपास के लोगों ने मेरे घर पर भोजन भी पहुंचाया। छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखा।
मेरे घर के बाद ये सारे लोग- कार्यकर्तागण कॉलोनी की एक कोरोना योद्धा युवा डॉ.सोनाक्षी के घर पहुंचे और उसका भी जोरदार अभिनंदन किया।शहर के एक जमाने के नामचीन फोटोग्राफर चित्रकार स्वर्गीय विजय पुणतांबेकर की नाती डॉक्टर सोनाक्षी पुणतांबेकर एम. वाय. अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज करने के दौरान पोझिटिव पायी गयी थी। वह ठीक होकर घर आयी थी। राकेश ने एक विशेष बात यह भी बताई की “अरविंदो”में सारी व्यवस्थाएं बहुत बेहतर थी। कोई समस्या नही थी। डॉक्टरों व उनके अधीनस्थ कर्मियों का व्यवहार भी अच्छा रहा। उन्होंने हमारा ही नही वरन वहां भर्ती सभी मरीजों का अच्छा ख्याल रखा था।
इस मानवीयता से परिपूर्ण एपिसोड में लोकमान्य नगर संघर्ष समिति के संजय मजुमदार, नितिन टोकेकर, नन्दू भय्या कुलकर्णी, बंडू, तुषार ठाकुर, वैभव ठाकुर,पराग लोढ़े, अभिजीत चोळकर, जयंत सामरे, विश्वास खेर, अभय कुलकर्णी की उल्लेखनीय- समयोचित- सराहनीय सक्रियता-तत्परता रही। इसके अलावा भी अनेक कार्यकर्ता अपने तई सेवाकार्य कर रहे, थे। ऐसे संकटकालीन हालात में लोगों ने अपने सामाजिक दायित्व को- इंसानियत नही भूलना चाहिये। लोकमाता देवी अहिल्या की नगरी में इस महामारी के दौरान सर्वत्र लोकमान्य नगर निवासियों जैसा बर्ताव करना चाहिये। बधाई तहे दिल से लोकमान्य नगर के समस्त रहवासियों को स्वस्थ रहे – सक्रिय रहे- अपनी स्वयं को सुरक्षित करते हुए इंसानियतयुक्त कार्य करते रहे। ईश्वर हमेशा नेक नियत से सेवा करनेवालों के साथ है।