राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: बिना मुरव्वत के मध्यप्रदेश की कमान संभाल ली अमित शाह ने

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लेखक – अरविंद तिवारी

जिस अंदाज में अमित शाह मध्यप्रदेश में सक्रिय हुए हैं, उससे यह तो साफ हो गया है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के सारे सूत्र अब शाह के हाथ में ही रहेंगे। शाह के हाथ में सारे सूत्र यानि अब उनकी टीम भी मध्यप्रदेश में सक्रिय हो जाएगी। इसकी शुरुआत हो गई है और प्रदेश के बड़े शहरों में शाह के नुमाइंदों ने डेरा डाल दिया है। दरअसल बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के पास अजय जामवाल के माध्यम से जो फीडबैक पहुंचा था, उसने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस बार प्रदेश के नेताओं के भरोसे रहने से काम चलेगा नहीं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए 2018 में अमित शाह का अनुभव भी कुछ ऐसा ही रहा था। यही कारण है कि इस बार बिना किसी मुरव्वत के उन्होंने मध्यप्रदेश की कमान अपने हाथ में ले ली। … अब तो देखते जाइए क्या-क्या होता है आगे।

हर किसी के बस की बात नहीं, यह राजनीति का कैलाश विजयवर्गीय का स्टाइल है

यह राजनीति करने का कैलाश विजयवर्गीय का अपना स्टाइल है। कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आता है, लेकिन इसी स्टाइल के कारण हजारों लोग उनके मुरीद भी हैं, खासकर मैदान में भाजपा के लिए मशक्कत करने वाले। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में इन दिनों जिस तरह विजयवर्गीय सक्रिय हुए हैं, उसकी बड़ी चर्चा है। इसी बीच एक मौका उनके हाथ लग गया। भोपाल में पार्टी के बड़े नेताओं से रूबरू होते हुए अमित शाह ने किसी एक स्थान पर बूथ कार्यकर्ताओं से रूबरू होने की इच्छा जताई। समय कम था और आयोजन बड़ा होना था, इसलिए नेता इधर-उधर देखने लगे, तो विजयवर्गीय ने बिना समय गंवाए कहा कि यह आयोजन इंदौर में होगा और इतने भव्य स्वरूप में होगा कि पूरे प्रदेश में इसकी चर्चा रहेगी। इसके पीछे के मकसद पर बाद में बात करना ही ठीक रहेगा।

किस्मत हो तो नीतेश अलावा जैसी

सालभर पहले की ही बात है, जयस के कट्टर समर्थक की भूमिका में रहने वाले नीतेश अलावा को घेरने में भाजपा और सरकार दोनों ने कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। कई बार आरोप पत्र जारी हुए, निलंबित भी किए गए और ऐसे हालात खड़े कर दिए गए कि नीतेश और उनके समर्थक त्राहि-त्राहि करने लगे थे। समय का फेर देखिए नीतेश सरकारी नौकरी में कहने को पटवारी हैं, पर इन दिनों अलीराजपुर में कलेक्टर सहित कई सरकारी अफसर से उनका रुतबा ज्यादा नजर आ रहा है। कभी सरकार को जमकर कोसने वाले नीतेश अब भाजपा के मददगार की भूमिका में हैं और 2023 के विधानसभा चुनाव में अलीराजपुर या जोबट से मैदान संभाल सकते हैं। यहां डॉ. निशांत खरे की रणनीति को दाद देना पड़ेगी।

…तो जावद बन जाएगा देश का पहला विधानसभा क्षेत्र

मध्यप्रदेश के एमएसएमई और आईटी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा की पहल अब एक मुकाम हासिल करती नजर आ रही है। दो साल पहले उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के हर व्यक्ति का हेल्थ रिकार्ड बनवाने का संकल्प लिया था। चिकित्सा विशेषज्ञों की राय ली, कुछ एजेंसियों को अपने साथ जोड़ा और आगे बढ़ गए। 10 अलग-अलग तरह के टेस्ट करवाए गए और इनकी जांच रिपोर्ट को ऑनलाइन रखा गया। अब इसका दूसरा चरण शुरू किया गया है। जिसमें बचे हुए लोगों के भी टेस्ट करवाए जा रहे हैं। इन सबकी रिपोर्ट भारत सरकार द्वारा तैयार करवाए गए आभा पोर्टल पर लोड की जाएगी। इसका फायदा यह मिलेगा कि सिर्फ एक क्लिक पर कहीं भी और कभी भी इस रिकार्ड को देखा जा सकेगा।

समझ गए सबके मित्र, बहुत फर्क है राजनीति और वकालत में

न्यायिक क्षेत्र में बहुत ऊंचे पद पर जाने की संभावना को दरकिनार कर राजनीति को प्राथमिकता देने वाले इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव को महापौर पद पर एक साल पुरा होते होते इस बात का एहसास हो ही गया होगा कि वकालत और राजनीति में बहुत फर्क है। जिन स्थितियों का सामना महापौर को इन दिनों नगर निगम और भाजपा की राजनीति में करना पड़ रहा है उससे उन्हें यह तो पता चल ही गया है डगर बहुत कठिन है। ‌ अतिरिक्त महाधिवक्ता रहते उनका एक अलग रुतबा था और यहां शहर का प्रथम नागरिक होने के बावजूद जिस तरह की स्थिति बन रही है वह आगे की कठिन राह का संकेत मात्र है।

आदिवासी युवा महापंचायत और पर्दे के पीछे के किरदारों की भूमिका

इंदौर में आदिवासी युवा महापंचायत की सफलता से कमलनाथ गदगद हैं।‌ आदिवासी सामाजिक नेताओं ने इस पंचायत को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंक दी थी, जिसका नतीजा भी देखने को मिला।‌ सफल आयोजन के बाद उन‌ किरदारों पर भी चर्चा शुरू हो चुकी है जो इस आयोजन की प्लानिंग में शामिल थे। इस मामले में श्रेय हमेशा पर्दे के पीछे रहने वाले मैनेजमेंट के मास्टर प्रवीण कक्कड़ के साथ ही आदिवासी युवाओं के बीच सक्रिय अमन बजाज के खाते में भी दर्ज होगा। ‌

चलते-चलते

इंदौर की राजनीति में इन दिनों एक सवाल यह भी खड़ा हो चुका है कि क्या आकाश विजयवर्गीय इस बार इंदौर 2 विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। नगर निगम चुनाव के बाद इंदौर 3 में जो समीकरण बने-बिगड़े हैं, उसके चलते यह चर्चा शुरू हुई है। इसमें कोई शक नहीं कि आकाश के लिए इस समय इंदौर 3 से ज्यादा सुरक्षित इंदौर 2 विधानसभा क्षेत्र है। देखना है इस बार रमेश मैंदोला मानते हैं या नहीं।

पुछल्ला

इंदौर 5 विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों तू डाल-डाल मैं पात-पात जैसी स्थिति है। यहां से कांग्रेस के टिकट के दावेदार सत्यनारायण पटेल और स्वप्निल कोठारी अपना पक्ष मजबूत करने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। पटेल ने सावन महीने में यहां घर-घर बिल्वपत्र और पूजन सामग्री पहुंचाना शुरू किया तो कोठारी ने शिव चालिसा के साथ ही रुद्राक्ष वितरण शुरू करवा दिया।

बात मीडिया की

नईदुनिया में फिर नई व्यवस्था लागू हुई है। 15-15 दिन के लिए संपादकीय प्रभारी बनाए गए जितेंद्र व्यास और उज्जवल शुक्ला को इस दायित्व से मुक्त कर स्टेट एडिटर सद्गुरुशरण ने इंदौर संस्करण की कमान खुद संभाल ली है। वे ही रिपोटर्स की मीटिंग ले रहे हैं, असाइनमेंट तय कर रहे हैं और रिपोटर्स के वर्किंग को रिव्यू कर रहे हैं।

दैनिक भास्कर की टीम में कुछ और नई आमद हो सकती है। नईदुनिया के सिटी चीफ पद से त्यागपत्र देकर संस्थान छोडऩे का नोटिस दे चुके जितेंद्र यादव टीम भास्कर का हिस्सा बन सकते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार ललित उपमन्यु टीम अग्निबाण का हिस्सा हो गए हैं। ‌वे सिटी की खबरों की प्लानिंग, प्रेजेंटेशन और वैल्यू एडिशन के साथ ही प्लानिंग के पार्ट पर अहम भूमिका निभाएंगे। उपमन्यु दैनिक भास्कर और दबंग दुनिया में भी अहम पदों पर रह चुके हैं और नई दुनिया में भी सेवाएं दी हैं।

आईएनएच टीवी के इंदौर ब्यूरोचीफ की भूमिका निभा रहे महेश मिश्रा ने जिस अंदाज में मालवा-निमाड़ की विधानसभा सीटों का मैदानी विश्लेषण किया है, उसकी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ी चर्चा है। आईएनएच प्रबंधन ने भी इस काम पर मिश्रा की जमकर तारीफ की।

लंबे समय से आईएनडी 24 से जुड़े बाबू शेख का अब इस संस्थान से वास्ता नहीं रहा है। वे अब टीवी 24 में सेवाएं देंगे। आईएनडी 24 का इंदौर में प्रबंधन दूसरे हाथों में जाने के बाद यहां बदलाव होना तय था।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काफी समय से सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार संजय सेंगर अब आईएनडी 24 टीम का हिस्सा हो गए हैं। उनके साथ ही विजय गुंजाल और कैमरा पर्सन प्रफुल्ल इंगले भी इसी टीम में रहेंगे।